देहरादून: उत्तराखंड के सबसे बड़े राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में देहरादून ही नहीं बल्कि पर्वतीय जिलों और देहरादून के आसपास के मैदानी जिलों से भी मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते हैं, लेकिन अस्पताल के कुछ डॉक्टर बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं, जिससे गरीब मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
दून अस्पताल के कई डॉक्टर मनमानी के चलते मरीजों को महंगी ब्रांडेड दवाइयां प्रिसक्राइब कर रहे हैं, जबकि ओपीडी ब्लॉक परिसर में स्थित जन औषधि केंद्र के प्रति डॉक्टरों की बेरुखी की वजह से मरीजों को बाहर की दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. हालांकि दून अस्पताल के भी अपने स्टोर में करीब 600 प्रकार की जेनरिक दवाइयां नि:शुल्क वितरण के लिए उपलब्ध है.
वहीं, जन औषधि केंद्र से सस्ती दरों पर जेनेरिक दवाइयां खरीदने वाले मरीजों को दवाइयां वापस करने के लिए कहा जा रहा है. बीते सोमवार को भी मरीज अस्पताल के कई अहम विभागों के डॉक्टरों के पास से दवाएं वापस लौटाने के लिए पहुंचे, तो वहां मौजूद महिला फार्मासिस्टों ने मरीजों को समझने की भी कोशिश की, लेकिन महिला मरीज का कहना है कि डॉक्टर ने मना किया है. इसलिए दवाई वापस की जा रही है.
देहरादून की रेड क्रॉस सोसाइटी के चेयरमैन डॉ एसएस अंसारी का कहना है कि समिति की तरफ से देहरादून जिले के पांच स्थानों पर जन औषधि केंद्र खोले गए हैं और इन औषधि केंद्रों का संचालन रेड क्रॉस सोसाइटी कर रही है. और प्रधानमंत्री मोदी का सपना रहा है कि लोगों को सस्ती दर पर दवाइयां उपलब्ध हो.
उन्होंने कहा कि औषधि केंद्रों में उपलब्ध दवाइयां प्रमाणिक है और दवाइयों की गुणवत्ता में किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया गया है, हालांकि उन्हें ऐसी जानकारी मिल रही है कि दून अस्पताल में स्थित जन औषधि केंद्र की दवाओं को कुछ डॉक्टर प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं.