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केजीएमयू में डीएनए व फिंगर प्रिंट लैब खुलेगी, दो घंटे में जारी करेगी रिपोर्ट - KGMU DNA and fingerprint lab

केजीएमयू में डीएनए व फिंगर प्रिंट लैब खुलेगी. यह लैब दो घंटे में अपनी रिपोर्ट जारी करेगी.

KGMU
KGMU (photo credit: etv bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 9, 2024, 9:11 AM IST

लखनऊ: केजीएमयू के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग में डीएनए और फिंगर प्रिंट लैब बनेगी. राजधानी में अब तक किसी भी संस्थान में ये लैब नहीं है. इसकी स्थापना के लिए प्रस्ताव तैयार हो गया है. वित्तीय सहायता के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा.

डीएनए और फिंगर प्रिंट फोरेंसिक विशेषज्ञों के लिए बेहद अहम होते हैं. केजीएमयू में इसकी पढ़ाई भी कराई जाती है. विद्यार्थियों को इसका व्यावहारिक ज्ञान देने के लिए लैब स्थापना की कवायद हो रही है. लैब में सामान्य डीएनए जांच तथा फिंगर प्रिंट की पहचान भी की जा सकेगी. अब तक पुलिस के पास ही इस तरह की व्यवस्था है. इसमें भी विशेषज्ञता के लिए जांच के लिए सैंपल बाहर भेजने पड़ते हैं. केजीएमयू में लैब स्थापित होने से जांच यहीं हो सकेगी.

फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनूप वर्मा ने बताया कि डीएनए और फिंगर प्रिंट लैब स्थापित करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है. प्रयास है कि विभाग में जल्द से जल्द लैब की स्थापना हो सके, जिससे सभी को इसका लाभ मिल सके. उन्होंने बताया कि यह उत्तर भारत का एकमात्र ऐसा टॉक्सोलॉजी लैब होगा. इससे हजारों की संख्या में मरीज लाभान्वित होंगे.

24 के बजाय दो घंटे में मिलेगी रिपोर्ट
उन्होंने बताया कि अभी फिलहाल मेडिकल कॉलेज में टॉक्सोलॉजी लैब नहीं है इसके कारण विभाग के पास जो लैब है. वहीं, पर तमाम जांच होती है जब कोई क्रिमिनल केस या कोई बड़ा मामला आता है. उस समय डीएनए व फिंगर टेस्ट होता है. इस तरह के मामले या तो किसी कानून के दायरे में रहते हुए आते हैं या फिर मृत शरीर के आइडेंटिफिकेशन के लिए किया जाता है. रोज के हिसाब से विभाग में लगभग 50 टेस्ट होते हैं. टॉक्सोलॉजी लैब बनने के बाद अस्पताल में बहुत सहूलियत हो जाएगी. जल्द से जल्द इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज से रिजल्ट मिलेगा. अभी जो रिजल्ट मिलने में 24 घंटे का समय लग जाता है. लैब बन जाने के बाद 2 घंटे में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के मदद से रिपोर्ट तैयार हो जाएगी.

उत्तर भारत की एकमात्र टॉक्सिकोलॉजी लैब
केजीएमयू के फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग में किसी भी दवा के ओवरडोज और हर प्रकार के जहर की जांच की व्यवस्था भी है. यहां पर उत्तर भारत की एकमात्र टॉक्सिकोलॉजी लैब की स्थापना पिछले साल हुई थी. यहां क्लीनिकल उपयोग के लिए जहर और दवाओं के ओवरडोज की जांच की सुविधा है. प्रति सैंपल जांच की औसत फीस 200 रुपये है. इसकी इंचार्ज डॉ. शिऊली राठौर ने बताया कि मरीजों में दवा या फिर जहर की जांच के लिए उसके खून, पेशाब या फिर गैस्ट्रिक लवाज के सैंपल की जरूरत होती है. प्रयोगशाला में सैंपल आने के बाद एक घंटे में जांच रिपोर्ट आ जाती है. इस तरह से मरीजों को एंटी डोज देकर उनकी जान बचाने में आसानी होती हैं.

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