वाराणसी : एक वक्त में विलुप्त होने के कगार पर खड़ा गोरखपुर का टेराकोटा कारोबार अब धूम मचाने लगा है. कारीगर अपनी कला से टेराकोटा के कई उत्पाद बनाकर पूरे देश के लोगों का ध्यान खींच रहे हैं. टेराकोटा के उत्पाद मिट्टी से अलग-अलग डिजाइन में तैयार किए जाते हैं.दीये, हाथी, लालटेन, बैलगाड़ी जैसे अलग-अलग प्रकार के उत्पाद इस कारीगरी को जीवंत कर रहे हैं. गोरखपुर की यह कला पिछले 06 सालों में बुलंदियों को छूने लगी है. सरकार की ODOP योजना ने इस उद्योग को 50 प्रतिशत का उछाल दिया है. दीपावली पर यह काशी में अपना रंग बिखेर रही है. दक्षिण भारत के कई हिस्सों से भी ऑर्डर मिल रहे हैं.
टेराकोटा का कारोबार बीते 07 वर्षों में अपनी स्थिति से बहुत ऊपर आ चुका है. आज इस कारोबार में करीब 50 फीसदी से भी अधिक की आय बढ़ी है. प्रदेश सरकार ने टेराकोटा के उत्पाद को 'वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट' (ODOP) में शामिल किया था. साथ ही सरकार की ओर से इसका खूब प्रचार-प्रसार भी किया गया. अब इसका फायदा टेराकोटा के कारोबार से जुड़े लोगों को मिल रहा है. इन्हीं से हैं अजय गौतम और अरविंद गौतम. अरविंद नीट की तैयारी कर रहे हैं, जबकि अजय स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं. इन दोनों ने अपने पिता के टेराकोटा के व्यापार को संभाला है.
'सरकार की ओर से की जाती है मार्केटिंग' :अजय गौतम बताते हैं कि टेराकोटा के उत्पादों के लिए हमारे पास अधिकतर दक्षिण भारत से डिमांड आती है. मुंबई, नोएडा आदि जगहों पर हमारे उत्पाद जाते रहते हैं. वे सभी अधिकतर होल सेलर रहते हैं. प्रदेश सरकार की ओर से स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने के लिए योजना चलाई जा रही है. कुछ दिन पहले नोएडा में लखपति दीदी के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. हम लोग वहां पर गए थे. सरकार के माध्यम से हम लोगों को अच्छी-खासी मार्केटिंग प्रोवाइड कराई गई थी. साथ ही, इलेक्ट्रिक चाक आदि हमें मिला है.
'करीब 1000 लोग इस काम में लगे हुए हैं' :वे बताते हैं कि मेला आदि के माध्यम से भी सरकार के माध्यम से प्रचार होता है. इस कारोबार में युवा अधिक जुड़ रहे हैं. शुरू में कुछ परिवार ही काम करते थे. अब 8 से 10 गांव इसमें काम करते हैं. इसमें करीब 1000 की संख्या में लोग लगे हुए हैं. उत्पादों को बनाने के क्रम को बताते हुए अजय गौतम कहते हैं कि, तालाब से मिट्टी लाकर मशीन से आटे की तरह गूथ दिया जाता. फिर चाक पर अलग-अलग पार्ट को निकाला जाता है. फिर उन सभी को जोड़कर उत्पाद तैयार किया जाता है. यह पूरी तरीके से हैंडीक्राफ्ट का उत्पाद होता है.
'आमदनी में हुई 50 फीसदी की बढ़ोतरी' :अजय गौतम बताते हैं कि हमारे बनाए उत्पाद बहुत मजबूत होते हैं. हम लोग इन उत्पादों को करीब 24 घंटे तक आग में पकाते हैं. पहले की अपेक्षा इस कारोबार में लगभग 50 फीसदी की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है. अरविंद गौतम बताते हैं कि, दीपावली के त्योहर पर कलश वाले नारियल की मांग अधिक हो रही है. इसे दो से तीन लेयर का बनाया जाता है. शुभ-लाभ, ओम् और स्वास्तिक भी बनाया गया है, जिसे लोग खरीद रहे हैं. साथ ही, लक्ष्मी-गणेश जी के साथ दीया बना है, लैंप है जिसमें दीया जलता है. हमारा कारोबार काफी बढ़ा है.