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किसान के दिव्यांग बेटे ने तालाब में प्रैक्टिस कर जीते नेशनल लेवल पर तीन गोल्ड मेडल - Disabled swimmer honored

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 29, 2024, 7:58 PM IST

Updated : Aug 30, 2024, 1:10 PM IST

रायपुर में खेल अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया. आयोजन में सीएम विष्णु देव साय खेल की दुनिया में कमाल दिखाने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित किया. सम्मान पाने वालों में रोहित भी शामिल हैं. रोहित दिव्यांग हैं इसके बावजूद वो तैराकी में तीन गोल्ड मेडल जीत चुके हैं.

DISABLED SWIMMER HONORED
किसान के दिव्यांग बेटे का कमाल (ETV Bharat)

रायपुर: गुरुवार को रायपुर में खेल अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया. अलंकरण समारोह में अलग अलग खेलों के प्रतिभावान खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया. सम्मान कार्यक्रम में रोहित कुमार गोंड को भी सम्मानित किया गया. रोहित पैरा तैराक खिलाड़ी हैं. रोहित को खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर साल 2022-23 के लिए शहीद कौशल यादव पुरस्कार से अलंकृत किया गया.

किसान के दिव्यांग बेटे का कमाल (ETV Bharat)

किसान के दिव्यांग बेटे का कमाल: ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान रोहित ने बताया कि ''मेरे पिता किसान हैं और खेती किसानी का काम करते हैं. परिवार की बदौलत ही मैं आज इस मुकाम पर पहुंच पाया हूं. मेरी सफलता में मेरे परिवार का योगदान है. मैं तालाब में प्रैक्टिस किया करता था. बाद में जिले में स्वीमिंग पूल खुला. बिलासपुर जाकर मैंने पैरा तैराकी की दिन रात प्रैक्टिस की. मेहतन की बदौलत मेरा चयन नेशनल लेवल पर हुआ. मैंने तीन गोल्ड मेडल जीतकर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया''.

तालाब और स्वीमिंग पूल में तैरने में काफी अंतर होता है। स्वीमिंग पूल में पूरी सुविधाएं होती हैं. पानी पूरा साफ होता है लेकिन तालाबों में पानी काफी गंदा रहता है. तालाब के पानी में कीड़े भी होते हैं. प्रैक्टिस के दौरान कीड़े काटते भी हैं. तालाब में अभ्यास करने में दिक्कतें आती हैं. मेरा एक पैर ठीक नहीं है. दूसरा पैर मुड़ा हुआ है. मैं खिलाड़ियों से कहना चाहूंगा कि कोच जैसा कहें उसी तरह से ट्रेनिंग लें. मेहनत करते रहेंगे तो मुकाम जरुर हासिल होगा. - रोहित कुमार गोंड, पैरा तैराक

'रोहित की सफलता पर है गर्व': पैरा तैराक रोहित के कोच ने बताया कि रोहित ने छोटे से तालाब और डबरी में तैराकी सीखी है. रोज स्कूल जाने के पहले ये तैराकी का प्रैक्टिस किया करता था. मैं भी इसके साथ तैराकी कर इसको ट्रेंड करता था. शुरुआत में रोहित के माता पिता इसे इस क्षेत्र में जाने से मना करते रहे. मैं ने परिवार को समझाया और उसे इस मुकाम तक लेकर आया. आज खुशी इस बात की है कि इसने तैराकी के क्षेत्र में अपना नाम रोशन किया.''

''खिलाड़ियों को मिलनी चाहिए और सुविधाएं'': रोहित के कोच कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में खेल के क्षेत्र में संसाधनों की कमी है. इस कमी को पूरा किया जाना चाहिए. पेंड्रा गौरेला मरवाही में स्विमिंग पूल नहीं है बावजूद इसके वहां के बच्चे पैरा तैराकी में मेडल लेकर आते हैं. खेल को ध्यान में रखते हुए 2 साल पहले यहां पर स्विमिंग पूल तैयार किया गया है. अब उसी में बच्चे प्रेक्टिस कर रहे हैं.''

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Last Updated : Aug 30, 2024, 1:10 PM IST

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