गोरखपुर :सीएम सिटी की पहचान बन रहे रामगढ़ ताल की खूबसूरती पर 12 नाले बट्टा लगा रहे हैं. बिना ट्रीटमेंट के इन नालों का पानी सीधे रामगढ़ ताल में गिर रहा है. एक तरफ रामगढ़ ताल को सजाने-संवारने के लिए कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है, तो दूसरी तरफ नालों की गंदगी इस पर पानी फेर रही है. इसी साल जुलाई में रामगढ़ ताल में प्रदूषण के कारण मछलियों के मरने की भी रिपार्ट आई थी. रामगढ़ ताल में बीते दिसंबर में क्रूज की सौगात सीएम योगी के हाथों मिली थी. इसके साथ ही यहां रात में रंगबिरंगी रोशनी में म्यूजिकल फाउंटेन भी लोगों को खूब आकर्षित करता है. ताल के ईर्द-गिर्द कई होटल बनने हैं, इसमें एक ताज भी है. इन सबके बीच नालों का बिना ट्रीटमेंट गिरता पानी इन सारे प्रयासों को धूमिल कर रहा है.
महज 5 प्रतिशत दूषित पानी की ही सफाई:गोरखपुर में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और सीवर लाइन की स्थापना के साथ नालों के निर्माण की योजनाएं अफसरों द्वारा गिनाई जाती हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति पर गौर करें तो नालों से निकलने वाले 100 करोड़ लीटर गंदे पानी में मात्र 5 प्रतिशत की ही सफाई प्रतिदिन हो पा रही है. 15 नालों का गंदा पानी सीधे राप्ती और रोहिन नदी में जाता है. यह पानी इतना विषैला होता है कि दूर तक नदियों का पानी काला हो जाता है. जल निगम के अधीक्षण अभियंता रतनसेन सिंह कहते हैं कि 212 एमएलडी क्षमता के एसटीपी की जरूरत है, लेकिन अभी 44 एमएलडी पर काम चल रहा है.
इन इलाकों का पानी गिरता है रामगढ़ ताल में:रतनसेन सिंह बताते हैं कि चार एसटीपी का संचालन अगले साल शुरू कर दिया जाएगा. इससे गंदा पानी साफ होकर नदियों और रामगढ़ ताल में जाएगा. रामगढ़ ताल में पहले 18 नालों का पानी सीधे गिरता था. इसके किनारे जब बांध बनाने की शुरुआत हुई तो सात नाले बंद हो गए. इसमें सहारा स्टेट, सिंघाड़िया, महेरवा की बारी, बिशनपुरवा, आवास विकास, कच्चा नाला, गिरधारगंज, यादव टोला नंबर एक और दो, स्मार्ट व्हील, श्रीरामपुरम कॉलोनी, श्रीरामपुरम नंबर 1 और 2 के अलावा कृष्णापुरम, सूर्य नगर, रामनगर, पड़हा टोला का पानी सीधे रामगढ़ ताल में गिरता है. वर्तमान में गोड़धोइया नाले का गंदा पानी भी रामगढ़ ताल में जा रहा है. यही पानी पूरे ताल में फैल रहा है.
सफाई की क्या है योजना :नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल कहते हैं कि जो भी नाले नदी से जुड़ रहे हैं, उनके पानी को निर्माणधीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से टैब करते हुए बायो रेमेडियेशन मेमरेन तकनीक से साफ करते हुए नदी में छोड़ा जाएगा, जिससे पानी गंदा नहीं होगा. बताते हैं कि शहर से कुल 13 बड़े, 117 मझले और 110 छोटे नाले विभिन्न वार्डों से निकलते हैं. जिनमें से 15 नालों का जल नदी के छोर तक पहुंचता है. सुभाष नगर में निर्माणाधीन ट्रीटमेंट वाटर प्लांट और लहसड़ी बंधे के किनारे बनने वाले ट्रीटमेंट प्लांट से इस पर बहुत हद तक लगाम लगाई जा सकेगी.
नहीं शुरू हो पाया बायो रेमेडिएशन :बताया कि राप्ती नदी में गिरने वाले पांच और रामगढ़ ताल में गिरने वाले 18 नालों का पानी साफ करने के लिए नगर निगम ने बायो रेमेडिएशन की शुरुआत की थी. जिसके तहत बायोकल्चर के माध्यम से नालों में ही गंदा पानी साफ किया जाना था, लेकिन वर्षा के पहले काम ठप हो गया. इसके बाद नालों में गंदा पानी साफ करने की शुरुआत नहीं हो सकी. नगर निगम ने इस पर फिर से काम शुरू कर दिया है.