भोपाल।इलेक्टोरल बांड के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा "इलेक्टोरल बांड के जो आंकड़े सामने आए हैं, उससे साफ है कि बीजेपी ने ईडी, आईटी के नाम पर दवाब बनाकर चंदा वसूली की है. बीजेपी ने ऐसी दवा कंपनियों से भी चंदा वसूला, जिनके खिलाफ कोरोना काल में नकली दवा बिक्री की जांच चल रही थी." दिग्विजय सिंह ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकार वार्ता में कहा "देश में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने शानदार ढंग से इलेक्टोरल बांड की जानकारी निकालने के लिए सरकार को बाध्य किया और इसे अवैधानिक पाया. इलेक्टोरल बांड के आंकड़ों के अनुसार 2018 से 2024 के बीच बीजेपी को 8252 और कांग्रेस को 1950 करोड़ रुपये मिले, लेकिन बीजेपी ने कांग्रेस के खाते फ्रीज करा दिए."
बीजेपी ने तीन तरीके से कंपनियों से की उगाही
दिग्विजय सिंह ने कहा "केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह हमेशा क्रोनोलॉजी की बात करते हैं, उसी अंदाज में देख लीजिए. बीजेपी के खाते में तीन तरह से चंदा आया है. एक चंदा वसूली के माध्यम से आया. जेल जाओ या चंदा दो. ऐसे 14 मामले हैं, जिसमें सीबीआई, आईटी या ईडी की छापामार कार्रवाई के बाद कंपनियों ने बांड खरीदकर बीजेपी को चंदा दिया. दूसरा तरीका है, चंदा दो और धंधा लो. इस तरह से बीजेपी ने 4 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट दिए. बीजेपी ने 37 बिजनेस हाउसेस को फायदा पहुंचाया. तीसरा तरीका शैल कंपनियों से चंदे का. प्रधानमंत्री मोदी ने गारंटी दी थी कि पूरे देश की शैल कंपनी खत्म कर दी हैं, लेकिन इलेक्टोरल बांड मामले में 29 कंपनियां ऐसी हैं जो शैल कंपनियां हैं. इनकी जितनी संपत्ति नहीं है, उससे ज्यादा इन कंपनियों ने कर्ज ले लिया."
विपक्षी दलों का गला घोंट रही है मोदी सरकार
दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया "बीजेपी विपक्षी पार्टी का गला घोंटने में जुटी है. कांग्रेस के 31 साल पुराने एक मामले में आयकर विभाग ने नोटिस दिया और इसके बहाने कांग्रेस के अकाउंट सीज कर दिए. जबकि किसी भी पार्टी को इनकम टैक्स नहीं देना होता. इसके बाद भी सिर्फ कांग्रेस पार्टी को इनकम टैक्स ने नोटिस दिया है. आयकर विभाग ने इस मामले में 14 लाख का नोटिस दिया है, जबकि पैनाल्टी 210 करोड़ की लगाई गई है. कई लोग 1970 में लगाई इमरजेंसी और अभी की तुलना करते हैं. वह इमरजेंसी कानून के अंतर्गत की गई थी, लेकिन यह असंवैधानिक इमरजेंसी है. इसके माध्यम से ईडी, सीबीआई के जरिए पहले गला घोंटा जा रहा है और फिर वसूली की जा रही है."