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'धणी' ने दिए सुकाल के संकेत, होगी अच्छी वर्षा, बनी रहेगी समृद्धि - ritual to know forecast of year - RITUAL TO KNOW FORECAST OF YEAR

जोधपुर के घांची समाज की वर्षों से चली आ रही 'धणी' परंपरा इस बार भी निभाई गई. इसमें संकेत मिला कि वर्ष अक्षय तृतीया से अगली अक्षय तृतीया तक सुकाल रहेगा और समृद्धि बनी रहेगी.

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'धणी' ने दिए सुकाल के संकेत रहेगा (ETV Bharat Jodhpur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 10, 2024, 7:13 PM IST

Updated : May 13, 2024, 3:28 PM IST

जोधपुर. अक्षय तृतीया पर जोधपुर में एक अनूठी परपंरा से आने वाले एक साल का शगुन जान कर भविष्य बताया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति के जोधपुर के घांची समाज की हर वर्ष अक्षय तृतीया पर धणी का आयोजन करने की परंपरा है. यह लगभग 200 वर्षों से चली आ रही है. इस परंपरा को धणी कहा जाता है. जिसका अर्थ मालिक है जिसके संकेत पर लोग भी बरसों से विश्वास करते आए हैं. क्योंकि यह सही साबित होते हैं. शुक्रवार को घांची समाज की बगीची में आयोजित इस प्रक्रिया में इस वर्ष अक्षय तृतीया से अगली अक्षय तृतीया तक धणी ने प्रदेश व देश में सुकाल के संकेत दिए हैं. क्योंकि काल के संकेत पर इस बार सुकाल ज्यादा भारी रहे हैं.

इसका मतलब इस बार अच्छी बारिश होने से जमाना अच्छा होगा और लोगों की समृद्धि बनी रहेगी. किसी तरह की बीमारी का प्रकोप नहीं फैलेगा. राजनीतिक स्थिरता बनी रहेगी. अगर काल का भारी संकेत होता, तो अत्याधिक बारिश होने से भी फसलें खराब होने, बीमारी फैलती और अस्थिरता आती. इस मौके पर घांची समाज के प्रबुद्ध जन और महिलाएं भारी संख्या में मौजूद रहे. धणी की इस भविष्यवाणी की अनोखी विधी देखने के लिए शहर के अन्य समाज के लोग भी आते हैं.

पढ़ें:धणी की भविष्यवाणीः बीमारी, मौसम और राजनीति को लेकर दिए ये संकेत

इस तरीके से करते है करते भविष्यवाणी: धणी यानी सृष्टि के मालिक के संकेत जानने के लिए यज्ञ वेदी के पास खंभ स्थापित किया जाता है. खंभ के आमने-सामने दो अबोध बालक को मंत्रोच्चार से पवित्र कर खड़ा किया जाता है. इन बालकों के हाथ में बांस पट्टिकाएं थमाई जाती हैं. मंत्रोचार व यज्ञ भी चलता रहा है. सुकाल का संकेत देने वाली बांस पट्टिका पर कुंकुम लगाया जाता है, जबकि काल का संकेत देने वाली पर काजल. मंत्रोचार व जाप से बालकों में भाव आने से बांस पटिटयों में हलचल होती है. वे स्वत: उपर-नीचे होने लगती हैं. अंतत एक पट्टिका के उपर रहने से संकेत का पता चलता है. जिसकी घोषणा समाज के बुजुर्ग करते हैं. इस बार यह प्रक्रिया काफी लंबी चली. बालक भी बदले गए.

Last Updated : May 13, 2024, 3:28 PM IST

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