नई दिल्ली: दुनिया भर में कोरोना महामारी के दौरान, जब हर कोई खुद को बचाने की कोशिश में जुटा हुआ था, ऐसे में दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य विभाग घोटाला करने में जुटा था. मामला नवंबर-दिसंबर 2021 में कोरोना महामारी से बचाने में मेडिकल सामान की खरीद से जुड़ा है. उस वक्त लाखों की संख्या में खरीदे गए स्टरलाइज्ड ग्लव्स और एन-95 मास्क की सप्लाई में करोड़ों रुपये का गड़बड़झाला करने का मामला सामने आया है. दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग की ओर से की जा रही जांच पड़ताल में इसका खुलासा हुआ है. मामले से जुड़ी रिपोर्ट ईटीवी भारत के पास है.
सप्लाई नहीं पर पेमेंट पूरी: दरअसल विजिलेंस डिपार्टमेंट ने 28 मई, 2024 को इस मामले में सवाल उठाए थे कि साल 2021-22 के दौरान स्टरलाइज्ड ग्लव्स और एन95 मास्क की सप्लाई न होने के बावजूद, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अधिकारियों की ओर से सप्लायर/डिस्ट्रीब्यूटर्स कंपनी को पूरी पेमेंट कर दी गई. विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, इस कथित वित्तीय अनियमितताओं और गड़बड़ियों का पता लगाने के लिए बुधवार, 19 जून को विजिलेंस विभाग की टीम ने अहम मीटिंग की. इस बैठक में स्वास्थ्य विभाग के स्पेशल सेक्रेटरी (विजिलेंस) एसके जैन, डीजीएचएस की स्टोर एंड पर्चेज की सीएमओ डॉ. अर्चना प्रकाश, डीजीएचएस की लिंक ऑफिसर एडिशनल डायरेक्टर (हेडक्वाटर) डॉ. सुषमा जैन, डीजीएचएस के हेड ऑफ ऑफिस डॉ. अरविंद मोहन और डीजीएचएस के स्टोर एंड पर्चेज के फार्मेसी ऑफिसर हर्ष गौड़ प्रमुख रूप से मौजूद रहे थे.
ऐसे हुआ खुलासा:विजिलेंस मीटिंग की रिपोर्ट से ये तथ्य सामने आए हैं कि कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से खरीदे गए कीटाणु रहित ग्लव्स के मामले में बड़ी वित्तीय अनियमिताएं बरती गई हैं. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने सप्लायर/डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ सांठगांठ कर फर्जी तरीके बिल जनरेट करवाए और कागजात तैयार किए गए. गुड्स बिल/रिसीट में यह सब गड़बड़ियां तब उजागर हुईं, जब स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय की ओर से यह दस्तावेज विजिलेंस के सामने पेश किए गए और इनको कई लेवल पर अलग-अलग विभागों के स्तर पर वेरिफाई किया गया.
नहीं मिले संतोजनक जवाब: स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय की ओर से जो दस्तावेज पेश किए गए, उनमें बड़े स्तर पर असंतुलन पाया गया. अधिकारियों ने स्ट्रेलाइज्ड ग्लव्स और एन95 मास्क की खरीद को लेकर जो दस्तावेज और पेमेंट रिसीट प्रस्तुत की हैं, उनमें बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. यह सभी खरीद कोविड महामारी के दौरान 2021-22 में की गई थी. इस दौरान स्टरलाइज्ड ग्लव्स और एन95 मास्क की सप्लाई करने वाली मैन्युफैक्चरर कंपनियां और डिस्ट्रीब्यूटर की ओर से पेश की गई तारीख और रिसिप्ट के मामले में किए गए सवालों पर स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अधिकारियों से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिले हैं.
सामने आई संदिग्ध गतिविधियां: मीटिंग में सामने आया कि, स्टरलाइज्ड ग्लव्स को मैन्युफैक्चर करने वाली कंपनी 4 दिसंबर, 2021 को सप्लाई करती है, जबकि डिस्ट्रीब्यूटर जो कि मैसर्स तिरुपति मेडीलाइंस प्राइवेट लिमिटेड है, को यह सभी ई-वे बिल के जरिए 15 दिसंबर, 2021 को रिसीव हुआ. वहीं स्टोर इंचार्ज सेल एंड परचेज डीजीएचएस हेडक्वार्टर ने इसको रिकॉर्ड में 14 दिसंबर, 2021 को दर्ज किया है. यह तारीख ई-वे बिल सप्लाई की तारीख 15 दिसंबर से एक दिन पहले की दर्ज की गई है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़े करते हुए विजिलेंस ने इसको संदिग्ध गतिविधियां बताया.
यहां मिली गड़बड़ी:हैरान करने वाली बात तो इसमें यह है कि दिल्ली सरकार के ट्रेड एंड टैक्स डिपार्टमेंट ने कंफर्म किया है कि 10 दिसंबर, 2021 को जनरेट हुए चालान नंबर 1067 में तिरुपति मेडिकल लाइंस प्राइवेट लिमिटेड को 1.50 लाख की संख्या में ग्लव्स सप्लाई होने का चालान जारी हुआ था. ग्लव्स की यह सप्लाई 75,000 और 75,000 के रूप में दर्शायी गई, जबकि ई-वे बिल में इस तरह के माल के 10 दिसंबर, 2021 से पहले कोई एंट्री दर्ज नहीं की गई. फिर कैसे 10 नवंबर 2021 को डिस्ट्रीब्यूटर ने इनवॉइस रेज किया.
वेरिफेकेशन और टाइम की मांग: इससे यह साफ संकेत मिल रहे हैं कि मैन्युफैक्चरर की तरफ से किसी तरह का कोई आइटम डिलीवर ही नहीं किया गया. बावजूद इसके मैसर्स तिरुपति मेडीलाइंस को पेमेंट कर दी गई. इसको लेकर डीजीएचएस के अधिकारियों की ओर से जो दस्तावेज पेश किए गए हैं, उनमें संतोषजनक जवाब नहीं मिला है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने डिस्ट्रीब्यूटर से आवश्यक क्लेरिफिकेशन के लिए और टाइम की मांग की है. मीटिंग में पता चला है कि 75000 पर स्ट्रेलाइज्ड ग्लव्स की सप्लाई मैन्युफैक्चरर की ओर से 8 दिसंबर, 2021 को की गई थी लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर की तरफ से दिल्ली में इन स्ट्रेलाइज्ड ग्लव्स की सप्लाई क्वांटिटी 2.55 लाख बताई गई है, जो कि स्टोर इंचार्ज सेल एंड परचेज डीजीएचएस हेड क्वार्टर को हुई.
अधिकारियों के पास जवाब नहीं: विजिलेंस विभाग ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से यह भी स्पष्टीकरण मांगा कि 2.85 लाख स्टरलाइज्ड ग्लव्स को कैसे स्टोर में रिसीव कर लिया गया, जबकि सप्लायर ने सप्लाई 75,000 की की थी और कैसे उसको एक्सेस क्वांटिटी की पेमेंट कर दी गई. विजिलेंस के इन सवालों का जवाब भी स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशालय के अधिकारियों के पास नहीं था. स्वास्थ्य अधिकारी इस बात का भी कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए कि डिस्ट्रीब्यूटर की तरफ से मैन्युफैक्चरर से रिसीव की गई क्वांटिटी और डीजीएचएस के स्टोर द्वारा रिसीव की गई क्वांटिटी के बीच इतना बड़ा अंतर कैसे आ गया.