देहरादून: उत्तराखंड में पेपर लीक प्रकरण के सामने आने के बाद इसमें शामिल कई पेपर लीक माफिया पुलिस और एसटीएफ की गिरफ्त में आए हैं. हालांकि इन मामलों पर अब भी हाईकोर्ट से अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है. ऐसे में एक और खबर ने पिछले पेपर लीक प्रकरणों पर सभी का ध्यान खींचा है. दरअसल पेपर लीक के मामले सामने आने के बाद एक तरफ इससे जुड़े माफियाओं पर नकेल कसी जा रही है, तो दूसरी तरफ ऐसे अभ्यर्थियों को भी निशाने पर लिया गया है, जिनका नाम लीक हुए पेपर का उपयोग करने के रूप में सामने आया था. यानी ऐसे अभ्यर्थी जिन तक पेपर पहुंचा और उन्होंने इसके जरिए परीक्षा को पास करने की कोशिश की.
मामले में इस तरह के अभ्यर्थियों को 5 साल के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं से प्रतिबंधित यानी डिबार किया गया. इसका मकसद यह था कि ऐसे अभ्यर्थी जिनका नाम ऐसे गलत कामों में आया है, उन्हें भी सरकारी सेवाओं में पहुंचने से रोका जाए और दंड के रूप में फिलहाल परीक्षाओं से उन्हें दूर रखा जाए. लेकिन प्रतियोगी परीक्षा कराने वाले आयोगों की ये मंशा पूरी नहीं हो पाई. दरअसल उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने करीब 375 छात्रों को पेपर लीक प्रकरण को लेकर डिबार किया हुआ है. लेकिन इनमें से करीब 150 परीक्षार्थी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिभाग कर पा रहे हैं. अभ्यर्थियों द्वारा ऐसा हाईकोर्ट से मिली राहत के बाद किया जा रहा है.