लखनऊ: केजीएमयू के लारी कॉर्डियोलॉजी में वेंटिलेटर न मिलने से मरीज की मौत मामले की जांच पूरी हो गई है. जांच रिपोर्ट में आरोपी डॉक्टर को क्लीन चिट दी गई है. लेकिन डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने केजीएमयू की जांच रिपोर्ट को वापस भेज दिया गया है. उनकी तरफ से कहा गया कि जांच में कई अहम सवालों के जवाब नहीं मिले हैं. इस बात का भी जवाब नहीं है कि जब केजीएमयू के अन्य विभागों में वेंटिलेटर बेड खाली थे तो मरीज को दूसरी जगह रेफर क्यों किया गया? डिप्टी सीएम ने फिर से जांच के निर्देश दिए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, अचानक तबीयत बिगड़ने पर पेशेंट अबरार को लारी कार्डियोलॉजी लाया गया. मौके पर ऑन ड्यूटी रेजिडेंट डॉक्टर सिद्धार्थ ने उन्हें देखा. पेशेंट को शुरुआती इलाज देकर स्टेबल किया गया. ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल को भी मैनेज किया गया. मरीज की क्रिटिकल कंडीशन को देखते उसे वेंटिलेटर बेड पर शिफ्ट करने की बात कही गई. लारी में कोई वेंटिलेटर बेड खाली नहीं था. ऐसे में उन्हें रेफर कराने की हिदायत दी गई थी. परिजनों ने लोहिया संस्थान में बात भी कर ली थी, वहां बेड खाली था. इसके बाद पेशेंट को शिफ्ट करने के लिए एम्बुलेंस बुलाई गई.
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. केके सिंह ने बताया कि इंजेक्शन देने से खून की उल्टी होने की बात सही नहीं है. लारी में तैनात ऑन ड्यूटी डॉक्टर मरीजों का इलाज करने में निपुण हैं. हर घंटे मरीजों की जान बचाते हैं. ऐसे में उनके इंजेक्शन देने से मरीज को खून की उल्टी होने की बात गलत है. ऐसा संभव ही नहीं है.
जांच टीम के सदस्य डॉ. बीके ओझा के मुताबिक घटना की जांच के दौरान दोनों पक्ष से जुड़े लोगों से लिखित बयान लिए गए. इनमें परिवार के सदस्यों के अलावा अन्य तीमारदार भी शामिल हैं. दूसरे पक्ष की तरफ से ऑन ड्यूटी डॉक्टर और वॉर्ड अटेंडेंट के बयान लिया गया. उन्होंने बताया कि डॉक्टर से मरीज को दिए गए इलाज और इंजेक्शन की जानकारी ली गई. साथ ही पेशेंट के पुरानी मेडिकल हिस्ट्री को भी देखा गया. मरीज की सात साल पहले एंजियोप्लास्टी हुई थी. इसके बाद रेगुलर फॉलोअप के लिए मरीज हॉस्पिटल नहीं पहुंचा. लंबे समय तक उन्होंने ओपीडी में डॉक्टर को नहीं दिखाया था.