गोरखपुर: पूर्वांचल की देवरिया लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए बेहद खास है. लेकिन इस सीट पर पार्टी के दो पूर्व प्रदेश अध्यक्षों की प्रतिष्ठा के टकराने से अभी तक घोषणा नहीं हो सकी है. जबकि घोषणा पहले चरण में ही हो जानी चाहिए थी. अंतिम चरण में प्रदेश के जिन 13 सीटों पर टिकटों की घोषणा होगी, उसमें ही यहां से कौन उम्मीदवार होगा तय होगा. इस सीट पर मौजूदा सांसद रमापति राम और कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही भी टिकट की मजबूत दावेदारी कर रहे हैं. दोनों प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं.
इस बार देवरिया सीट पर बाहरी प्रत्याशी के भी न लड़ाए जाने का एक समीकरण कार्य कर रहा है. सूर्य प्रताप शाही और भाजपा संगठन से जुड़े तमाम नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व को इससे अवगत कराया है. क्योंकि रमापति राम त्रिपाठी भी देवरिया से ताल्लुक नहीं रखते, इससे पहले कलराज मिश्र यहां से सांसद थे. जिनका भी ताल्लुक देवरिया से नहीं था. इस सीट पर सदर विधायक शलभ मणि त्रिपाठी भी टिकट की दावेदारी में हैं. साथ ही एक राज्यपाल ने अपने भतीजे का नाम भी केंद्रीय नेतृत्व को सुझा दिया है. इसके बाद इस सीट का टिकट और भी उलझ गया है. सूत्र बता रहे हैं कि दो प्रदेश अध्यक्षों की प्रतिष्ठा ही मूल रूप से टिकट के लिए टकरा रही है.
रमापति राम त्रिपाठी का दावा कैसे हैं मजबूत
रमापति राम त्रिपाठी देवरिया से वर्तमान सांसद हैं. वह पार्टी के जन संघ के समय से कार्यकर्ता, संघ के प्रचारक समेत प्रदेश स्तर के कई महत्वपूर्ण पदों पर संगठन को अपनी लंबी सेवा दिए हैं. यूपी भाजपा में मौजूदा समय में जिस सुनील बंसल की कुशल प्रदेश संगठन महामंत्री के रूप में चर्चा होती है. वैसे ही 1994 से 2007 तक रमापति राम त्रिपाठी भी प्रदेश महामंत्री संगठन के पद की जिम्मेदारी निभाते थे. संगठन में छोटे से बड़े स्तर पर अपनी पैठ बनाए हैं. केंद्रीय नेतृत्व में भी राजनाथ टीम के वह प्रमुख चेहरा माने जाते हैं. इनके टिकट को लेकर जब भी संकट की स्थिति सामने आती है तो माना जाता है कि राजनाथ सिंह दीवार बनकर रमापति के टिकट पर ताकत लगा देते हैं. वह दो बार विधान परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं.
गोरखपुर के खजनी थाना क्षेत्र के झुड़िया गांव के रहने वाले रमापति पहली बार 2019 में अपनी राजनीतिक जीवन में लोकसभा का चुनाव तब लड़े थे. जब बीजेपी नेता कलराज मिश्रा को उम्र के हवाले से टिकट न देकर राजस्थान का राज्यपाल बना दिया गया था. ब्राह्मण बाहुल्य देवरिया सीट पर रमापति राम त्रिपाठी जैसे बड़े चेहरे को भाजपा ने उतारकर इस सीट को जीतने में भी कामयाब रही. 2019 के लोकसभा चुनाव में रमापति राम को 5 लाख 80644 वोट मिले थे, जो कुल पड़े मतों का लगभग 58 फीसदी था. इन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के विनोद कुमार जायसवाल को लगभग ढाई लाख वोटो से हराया था. विनोद को 3 लाख 30713 मत मिले थे. देवरिया लोकसभा का टिकट अभी तक घोषित न होना इनके जैसे बड़े कद का परिणाम है. जो लोग इनके मुकाबला अपने टिकट की मांग कर रहे हैं. वह पूर्व में कलराज मिश्रा के टिकट का भी विरोध कर चुके हैं. ऐसे में कलराज लाबी भी रमापति के पक्ष में प्रयास कर रही है. लेकिन अब इसका परिणाम बीजेपी की तीसरी सूची में ही आना है.
सूर्य प्रताप शाही के दावे में क्यों है दम
देवरिया लोकसभा सीट सूर्य प्रताप शाही की मूल सीट है. पिछले 7 साल से वह उत्तर प्रदेश सरकार में कृषि मंत्री हैं और योगी सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में शुमार हैं. वह 1991 में प्रदेश में बनी कल्याण सिंह की सरकार में गृह राज्य मंत्री, आबकारी और चिकित्सा शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं. 1991,1993 और 1997 में तीन बार पथरदेवा विधानसभा से विधायक रह चुके हैं. सूर्य प्रताप शाही को तीन बार समाजवादी पार्टी के ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी से हार भी मिली है. 2002, 2007 और 2012 के चुनाव में सूर्य प्रताप शाही लगातार चुनाव हारे है. लेकिन 2017 में चुनाव जीते तो प्रदेश सरकार में कृषि मंत्री पद पर काबिज हुए. 2022 के भी चुनाव में बड़े अंतर से जीतने के बाद मंत्रिमंडल में स्थान बनाने में कामयाब हुए. शाही को यूपी बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया था. यह देवरिया से बाहर के किसी व्यक्ति को लोकसभा का टिकट नहीं चाहते हैं और खुद को उसके लिए सबसे उपयुक्त साबित करने में जुटे हैं.
शलभ मणि त्रिपाठी भी कतार में
इस सीट पर तीसरा नाम जो चर्चा में है वह सदर विधायक शलभ मणि त्रिपाठी का है. जो विधायक बनने के बाद अपनी पहचान बनाने में देवरिया में सफल हुए हैं. यह मूलतः पत्रकार रहे हैं. 2022 के चुनाव में बीजेपी की तरफ से जीतने में कामयाब हुए. इसके पूर्व जब यह बीजेपी ज्वाइन किए तो पार्टी ने इन्हें प्रदेश प्रवक्ता बना दिया था और सालों तक उस पर इन्होंने काम किया. लेकिन खुद को मजबूत और संघर्षील युवा नेता के रूप में स्थापित करने के लिए कई मुद्दों पर इन्होंने अपनी सकारात्मक उपस्थित जताकर, संगठन की नजरों में अपना स्थान बनाने में सफलता पाई है. लेकिन बीजेपी के धुरंधरों के बीच में यह टिकट पाने में कामयाब होते हैं कि नहीं यह तो पार्टी की सूची जारी होने के बाद ही पता चल पाएगा.
यह भी नाम पैनल में
देवरिया लोकसभा सीट से टिकट की दावेदारी करने वालों में कुछ अन्य नाम भी प्रमुख रूप से शामिल है. जिसमें पूर्व उप थल सेना अध्यक्ष और पूर्व सांसद, लेफ्टिनेंट जनरल श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी के पुत्र शशांक मणि त्रिपाठी शामिल हैं. यह बीजेपी में पिछले 10 वर्षों से सक्रिय होकर क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं. यह मोदी के कौशल विकास मिशन को काफी तेजी से देवरिया में आगे बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाते दिखते हैं. वहीं, एक अन्य नाम डॉक्टर अजय मणि त्रिपाठी का है जो शहर के एक इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य हैं. संघ से इनका भी गहरा जुड़ाव है. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के यह छात्र संघ अध्यक्ष रहे हैं. मौजूदा समय में भाजपा क्षेत्रीय प्रबुद्ध संगठन के संयोजक हैं और लगातार संगठन के साथ जनता के बीच सक्रिय रहते हैं.
देवरिया सीट की मौजूदा स्थिति
देवरिया जिला गोरखपुर से कटकर 1946 में 16 मार्च को अस्तित्व में आया. इस लोकसभा सीट में कुल पांच विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इस चुनाव में कुल 18 लाख 58009 मतदाता मतदान करेंगे. जिसमें पुरुष वोटर 9 लाख 82हजार 999 हैं, जबकि महिलाओं की संख्या 874902 है. इसमें थर्ड जेंडर के भी मतदाता 108 हैं. लोकसभा चुनाव 2019 के मुकाबले इस बार एक लाख 6 हजार वोटर बढ़े हैं. 2019 में कुल 17 लाख 51 हजार 033 मतदाता थे. इन आंकड़ों में परिवर्तन भी होगा क्योंकि मतदान से पूर्व तक नए मतदाताओं के बढ़ाने का कम भी चल रहा है. इस सीट पर देवरिया सदर, रामपुर कारखाना, पथरदेवा, फाजिलनगर और तमकुही राज विधानसभा के मतदाता वोट करेंगे.
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