लखनऊ: शहर में डेंगू-मलेरिया संग स्वाइन फ्लू का प्रकोप बढ़ रहा है. जांच में लोग स्वाइन फ्लू से संक्रमित मिल रहे हैं. हालांकि, राहत की बात यह है कि मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत नहीं आ रही है. सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले मरीजों की स्वाइन फ्लू की जांच बंद पड़ी है. ऐसे में डॉक्टर वायरल इंफेक्शन मानकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं. जिले में अब तक 119 मामले स्वाइन फ्लू के सामने आ चुके हैं. सबसे अधिक केस सितंबर में मिले.
यूपी की राजधानी लखनऊ में जनवरी से अब तक 119 मामले स्वाइन फ्लू के सामने आ चुके हैं. पिछले तीन माह के आंकड़ों पर डाले तो जुलाई में स्वाइन फ्लू के नौ मामले मिले थे. अगस्त में यह आंकड़ा बढ़कर 17 पहुंच गया था. सितंबर में डेंगू मलेरिया संग स्वाइन फ्लू के 32 मामले सामने आए थे. इसके अलावा अक्टूबर में अब तक 8 केस आ चुके हैं.
यह स्थिति तब है जब सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में सर्दी जुखाम व बुखार की शिकायत लेकर आने वाले मरीजों की जांच ठप पड़ी है. जांच न होने से नए केस सामने नहीं आ पा रहे हैं. स्वाइन फ्लू जांच की सुविधा केजीएमयू, लोहिया और पीजीआई संस्थान में है. सरकारी अस्पतालों से नमूने एकत्र करके जांच के लिए केजीएमयू भेजे जाते हैं.
सरकारी अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के लक्षण के आने वाले मरीजों के नमूने तक जांच के लिए नहीं भेजे जा रहे हैं. बलरामपुर, सिविल, लोकबंधु, रानीलक्ष्मीबाई संयुक्त चिकित्सालय, बीआरडी महानगर, ठाकुरगंज संयुक्त चिकित्सालय से नमूने नहीं भेजे जा रहे हैं. ऐसे में स्वाइन फ्लू के पॉजिटिव आने की दर कम है.
सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि इस समय अस्पताल की ओपीडी में कुछ ऐसे मरीज आ रहे हैं, जो स्वाइन फ्लू को नहीं पहचान पा रहे हैं. लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण सामान्य मानव फ्लू के लक्षणों के समान ही होते हैं और इसमें बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द, सिरदर्द, ठंड लगना और थकान शामिल है. कुछ लोगों में स्वाइन फ्लू से दस्त और उल्टी की शिकायत होती है.