जयपुर: राजस्थान में मिरासी समुदाय की सात जातियों मिरासी, ढाड़ी, मांगणियार, दमामी, नगारची, लंगा और राणा को ओबीसी आरक्षण में वर्गीकरण कर अलग अत्यंत पिछड़े वर्ग में शामिल करने की मांग अब जोर पकड़ रही है. इसके साथ ही इन जातियों को विमुक्त, घुमंतू और अर्द्धघुमंतू जातियों की सूची में शामिल करने की मांग भी की जा रही है. अपनी इन मांगों को लेकर राजस्थान मिरासी समुदाय संयुक्त महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने जयपुर में सरकार के मंत्रियों और पक्ष विपक्ष के कई विधायकों से मिलकर उन्हें मांगपत्र सौंपा है. इसके साथ ही इस प्रतिनिधिमंडल ने नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली से भी मुलाकात कर उनकी आवाज विधानसभा में उठाने की मांग की. हालांकि, प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने के लिए भी समय मांगा है, लेकिन दो दिन बाद भी उन्हें समय नहीं दिया गया है.
यजमान और याचक एक वर्ग में: महासंघ के सह संयोजक रहीम खान सीपा का कहना है कि मिरासी समुदाय की जातियों के लोग गाना-बजाना और वंशावली वाचन का काम कर अपना जीवन बसर करते हैं. सामाजिक व्यवस्था में हम याचक हैं और ओबीसी की अन्य जातियां उनकी यजमान हैं, लेकिन ओबीसी वर्ग में याचक और यजमान को साथ कर दिया गया है. महासंघ ओबीसी आरक्षण का उप-वर्गीकरण कर इन सात जातियों को अत्यंत पिछड़े वर्ग में शामिल करने की मांग लगातार कर रहा है.
अन्य राज्यों में हो चुका आरक्षण का उप वर्गीकरण: उन्होंने बताया कि देश के अन्य राज्यों जैसे हरियाणा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में ओबीसी जातियों में आरक्षण का उप वर्गीकरण कर अत्यंत पिछड़ी जातियों को सामाजिक न्याय मुहैया करवाया गया है. इस मामले को लेकर जी. रोहिणी आयोग ने अपनी रिपोर्ट भी राष्ट्रपति को सौंप दी है, जिसमें ओबीसी जातियों के उप वर्गीकरण की अनुशंसा की गई है.