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सीएए हुआ लागू, जमीनी हालत बदलने में ये है बड़ा रोड़ा, भारत सरकार की तरफ पाक विस्थापितों की निगाहें

जोधपुर में रह रहे पाक विस्थापितों ने मोदी सरकार से नए वीजा जारी करने की मांग उठाई है. कई विस्थापितों के परजिन अभी भी पाकिस्तान में अटके हुए हैं. पिछले एक साल से भारत सरकार धार्मिक वीजा भी नहीं दे रही है.

Demand of Pakistani migrants
Demand of Pakistani migrants

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 13, 2024, 5:23 PM IST

पाक विस्थापितों के परिजन अटके पाकिस्तान में

जोधपुर.भारत सरकार ने पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू कर दिया है. इसके तहत दिसंबर 2014 से पहले आए लोगों को आसानी से भारतीय नागरिकता मिल जाएगी. इससे जोधपुर में रह रहे पाक विस्थापित हिंदुओं को थोड़ी राहत तो मिली है, लेकिन इनके लिए परेशानियां अभी खत्म नहीं हुई हैं. पिछले एक साल से भारत सरकार पाकिस्तान से आने वाले धार्मिक यात्रियों को वीजा जारी नहीं कर रही है. इसके चलते पिछले दो-तीन साल में पाकिस्तान से भारत आए हिंदु विस्थापितों के कई परिजन पाकिस्तान में ही रह गए हैं. अब उन्हें वीजा नहीं मिल रहा है. व्यक्तिगत वीजा भारत में रह रहे रिश्तेदार के स्पॉन्सर करने पर मिलता है, लेकिन उसमें भी लंबा समय लग रहा है. इसके चलते पाकिस्तान से आए कुछ लोग वापस जाने का मन बना रहे हैं और कुछ तो चले भी गए हैं.

जोधपुर के चौखा के पास गंगाणा की बस्ती में कई ऐसे परिवार हैं, जो पाकिस्तान में अटके अपनों को वीजा मिलने का इंतजार कर रहे हैं. इनके लिए काम करने वाली संस्था के भागचंद भील ने बताया कि धार्मिक वीजा बंद होने से ऐसी स्थिति हुई है. इसमें कुछ कमियां भी रही हैं. कुछ लोग हरिद्वार का वीजा लेकर सीधे यहां आ जाते थे. इससे सुरक्षा एंजेंसियों ने आपति जताई. इसके अलावा अब जोधपुर के लिए सीधा स्पॉन्सर वीजा भी नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया कि यहां के लिए वीजा के 60 आवेदन पड़े हुए हैं.

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पत्नी रह गई तो पति को जाना पड़ा :पाकिस्तान के सांगड़ जिले से हीराराम और उसका परिवार धार्मिक जत्थे के साथ आया था. ये लोग भारत इस उम्मीद के साथ आए थे कि अगले जत्थे में उनके बेटे की पत्नी को वीजा मिल जाएगा, तो वह भी भारत आ जाएगी, लेकिन उनके आने के बाद से धार्मिक जत्थों के वीजा बंद हो गए. उन्होंने बहू के वीजा का प्रयास किया, लेकिन एप्लीकेशन रिजेक्ट हो गई. बहूू अपने मायके में रह रही है. हीराराम ने बताया कि उनके बेटे कि जब सारी उम्मीद टूट गई, तो वह तीन महीने पहले पाकिस्तान लौट गया. अब बेटा-बहू दोनों भारत आने के लिए वीजा मिलने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में रहना बहुत मुश्किल है. वहां इतनी महंगाई है कि मजदूर अपने परिवार का पेट नहीं भर सकता.

परिवार के 12 लोग वहीं अटके :2019 में ताराचंद अपनी मां और दो भाई के साथ भारत आए थे. उनके परिवार के 12 लोग अभी भी पाकिस्तान में हैं. पिछले तीन साल से उनका वीजा नहीं मिल रहा है. ताराचंद ने बताया कि पाकिस्तान में सबसे बड़ी परेशानी जबरदस्ती धर्म परिवर्तन की है. बेटियों के अगवा होने का भी डर रहता है. इसके चलते परिवार के बाकी लोग भी भारत आने के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन भारतीय दूतावास वीजा नहीं दे रहा है. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में 40 किलो आटा 6 हजार रुपए में मिल रहा है. आम लोगों के लिए जीवन यापन करना बहुत मुश्किल हो गया है.

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परिवार के 18 लोग अटके :2022 में डालूराम भारत आ गए थे, लेकिन उनके मां-बाप समेत भाई और उनके परिवार के 18 लोग अभी भी वहां अटके हुए हैं. वीजा के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन नहीं मिल रहा है. एक और विस्थापित मंगूराम ने भी बताया कि उनके परिवार के बहुत लोग पाकिस्तान में रह गए हैं. उन्होंने कहा कि "मोदी सरकार से प्रार्थना है कि हमारे परिवार के लोगों को वीजा जारी करें, जिससे हम परिवार से मिल सकें." इसी तरह से 2019 में आए रमेश की भी दो बहनें वहां अटकी हुई हैं. उनको भी वीजा नहीं मिल रहा है.

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