सरगुजा : छत्तीसगढ़-झारखंड-मध्यप्रदेश जैसे आदिवासी बाहुल्य राज्यों में डीलिस्टिंग की मांग एक समय आग की तरह फैल रही थी. राज्यों में विधानसभा चुनाव में पहले तक यह मसला गर्म रहा. आदिवासियों के डीलिस्टिंग आंदोलन के पीछे और आगे दोनों तरफ बीजेपी नेताओं की लंबी लाइन थी. आदिवासी समाज के इस आंदोलन में बीजेपी के जनरल और ओबीसी वर्ग के नेता भी शामिल थे. लेकिन चुनाव से ठीक पहले डीलिस्टिंग की गूंज शांत हो गई.विधानसभा के बाद जब लोकसभा चुनाव आएं तो भी डीलिस्टिंग की चिड़िया को किसी ने उड़ते नहीं देखा.लेकिन अब प्रदेश में निकाय चुनाव होने हैं.ऐसे में एक बार फिर से डीलिस्टिंग की मांग दबे पांव सामने आई है.
डीलिस्टिंग कानून के लिए दिल्ली में महारैली की तैयारी :जनजाति सुरक्षा मंच सरगुजा ने एक बार फिर डीलिस्टिंग की मांग के लिए बैठक की है. बैठक में क्षेत्र संयोजक कालू सिंह मुजाल्दा ने कहा कि "हमारी सिर्फ एक ही मांग है अनुच्छेद 342 में संशोधन करके जनजाति समाज के रीति रिवाज, परंपरा, रूढ़ी को छोड़ चुके धर्मांतरित जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करके जनजाति समाज को उसका शत प्रतिशत आरक्षण और सरकारी सुविधा दिया जाए. इसके लिए पूरे देश में डीलिस्टिंग आंदोलन किया जा रहा है. जिला एवं प्रदेश की महारैलियां संपन्न हो चुकी हैं. अब दिल्ली में दस लाख से अधिक जनजातियों के द्वारा महारैली किया जाएगा और सरकार से अनुच्छेद 342 में संशोधन करने की मांग की जाएगी"
बड़े आंदोलन की तैयारी में समाज :प्रांत सह संयोजक इन्दर भगत ने कहा कि "जनजाति सुरक्षा मंच ने पूरे देश के जनजातियों को एक विषय के लिए एकजुट कर दिया है. सभी समाज मिलकर डीलिस्टिंग की आवाज उठा रहे हैं. जनजाति समाज ने देशभर में लगभग तीन सौ जिलों में रैलियां करके कहा है जो नहीं भोलेनाथ का, वो नहीं हमारे जात का.