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छत्तीसगढ़ में फिर निकला डीलिस्टिंग का जिन्न, दिल्ली में महारैली की तैयारी, पीएम मोदी के नाम पोस्टकार्ड अभियान - Tribal society delisting Demand

Demand for delisting raised छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से डीलिस्टिंग को लेकर आदिवासी समाज घेराबंदी में जुट गया है.इसके लिए समाज ने पीएम नरेंद्र मोदी को अभियान चलाकर पोस्टकार्ड संदेश भेजा है.जिसमें धर्मांतरित हो चुके लोगों को समाज से बहिष्कृत करने की मांग की गई है.

Demand for delisting
छत्तीसगढ़ में फिर निकला डीलिस्टिंग का जिन्न (ETV Bharat chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 10, 2024, 6:00 PM IST

सरगुजा : छत्तीसगढ़-झारखंड-मध्यप्रदेश जैसे आदिवासी बाहुल्य राज्यों में डीलिस्टिंग की मांग एक समय आग की तरह फैल रही थी. राज्यों में विधानसभा चुनाव में पहले तक यह मसला गर्म रहा. आदिवासियों के डीलिस्टिंग आंदोलन के पीछे और आगे दोनों तरफ बीजेपी नेताओं की लंबी लाइन थी. आदिवासी समाज के इस आंदोलन में बीजेपी के जनरल और ओबीसी वर्ग के नेता भी शामिल थे. लेकिन चुनाव से ठीक पहले डीलिस्टिंग की गूंज शांत हो गई.विधानसभा के बाद जब लोकसभा चुनाव आएं तो भी डीलिस्टिंग की चिड़िया को किसी ने उड़ते नहीं देखा.लेकिन अब प्रदेश में निकाय चुनाव होने हैं.ऐसे में एक बार फिर से डीलिस्टिंग की मांग दबे पांव सामने आई है.



डीलिस्टिंग कानून के लिए दिल्ली में महारैली की तैयारी :जनजाति सुरक्षा मंच सरगुजा ने एक बार फिर डीलिस्टिंग की मांग के लिए बैठक की है. बैठक में क्षेत्र संयोजक कालू सिंह मुजाल्दा ने कहा कि "हमारी सिर्फ एक ही मांग है अनुच्छेद 342 में संशोधन करके जनजाति समाज के रीति रिवाज, परंपरा, रूढ़ी को छोड़ चुके धर्मांतरित जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करके जनजाति समाज को उसका शत प्रतिशत आरक्षण और सरकारी सुविधा दिया जाए. इसके लिए पूरे देश में डीलिस्टिंग आंदोलन किया जा रहा है. जिला एवं प्रदेश की महारैलियां संपन्न हो चुकी हैं. अब दिल्ली में दस लाख से अधिक जनजातियों के द्वारा महारैली किया जाएगा और सरकार से अनुच्छेद 342 में संशोधन करने की मांग की जाएगी"


बड़े आंदोलन की तैयारी में समाज :प्रांत सह संयोजक इन्दर भगत ने कहा कि "जनजाति सुरक्षा मंच ने पूरे देश के जनजातियों को एक विषय के लिए एकजुट कर दिया है. सभी समाज मिलकर डीलिस्टिंग की आवाज उठा रहे हैं. जनजाति समाज ने देशभर में लगभग तीन सौ जिलों में रैलियां करके कहा है जो नहीं भोलेनाथ का, वो नहीं हमारे जात का.

''अनुसूचित जनजाति वर्ग को आरक्षण उसकी विशिष्ट संस्कृति, परंपराओं के लिए दिया जाता है लेकिन जो इन्हीं विशेषताओं को छोड़ा है, वही इसका सबसे ज्यादा लाभ उठा रहा है. जिससे इस समाज के साथ बहुत बड़ा संवैधानिक और सामाजिक अन्याय हो रहा है. मूल समाज को ही शत प्रतिशत आरक्षण और शासकीय सुविधाएं मिलनी चाहिए"- इन्दर भगत,प्रांत सह संयोजक

डीलिस्टिंग कानून के लिए भेजा गया पोस्टकार्ड :जनजाति सुरक्षा मंच ने पूरे देश में डीलिस्टिंग कानून के लिए आंदोलन चलाया है.वर्तमान में जनजाति समाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर पोस्ट कार्ड लिखने का अभियान चलाया . सरगुजा जिले में भी यह अभियान गांव, मोहल्ला में जोरशोर से किया जा रहा है. बिरसा मुंडा के बलिदान दिवस पर जनजातियों ने अनुच्छेद 342 में संशोधन करने की मांग की. साथ ही साथ धर्मांतरित हो चुके लोगों को जनजाति की सूची से बाहर करने की मांग उठी.इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम समाज के लोगों ने पोस्टकार्ड भेजे हैं.

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