नई दिल्ली:दिल्ली में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए, दिल्ली सरकार ने पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था. इस प्रयास का मुख्य उद्देश्य शहर में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करना था. हालांकि, दीपावली के अवसर पर लोगों ने जमकर आतिशबाजी की, जिससे कल्याणकारी उपायों का प्रभाव कमज़ोर पड़ गया. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़े इस बात का स्पष्ट प्रमाण हैं कि दीपावली पर हुई आतिशबाजी ने प्रदूषण को पिछले दो सालों के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया.
प्रदूषण के आंकड़े:दीपावली के दिन 2023 में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एएक्यूआई) 328 दर्ज किया गया, जो पिछले दो वर्षों की तुलना में अधिक था. उदाहरण के लिए, 2022 में यह 312 और 2021 में 382 था. दीपावली के बाद के दिनों में भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ, 2023 में इस इंडेक्स ने 358 के स्तर तक पहुंच गया, जबकि 2022 में यह 303 था.
छोटी दीपावली के दिन भी प्रदूषण का स्तर चिंताजनक था. 30 अक्टूबर को 2023 में एएक्यूआई 307 था, जबकि पिछले वर्षों में यह संख्या क्रमशः 296, 314, 259 और 220 रही थी. यह स्पष्ट है कि दीपावली के आसपास के दिनों में प्रदूषण में वृद्धि हुई है.
प्रदूषण के कारण:पर्यावरणविद् ज्ञानेंद्र रावत के अनुसार, इस बढ़ते प्रदूषण के कई कारण हैं. इनमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में जल रही पराली, दीपावली पर की जाने वाली आतिशबाजी, हवा की गति में कमी और तापमान की गिरावट शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, दिल्ली में वाहनों की बढ़ती संख्या और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास भी इस समस्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.