नई दिल्ली: 25 जून को देश-दुनिया में वर्ल्ड विटिलिगो डे मनाया जाता है, इस दिन को मनाने की पीछे की वजह समाज में लोगों के बीच मौजूद धारणाओं को खत्म करना है और लोगों को ये बताना है कि ये बीमारी कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है बल्कि ये स्किन में होने वाला एक तरह का डिसऑर्डर है. पहले समझते हैं विटिलिगो क्या है.
ये किसी भी व्यक्ति की स्किन में दिखने वाले सफेद दाग जैसे होता है, इस रोग की शुरुआत हाथ-पैरों से होकर पूरे शरीर में फैल सकती है, आइए जानते हैं इसके कुछ शुरुआती संकेत जिन्हें पहचान कर आप इसकी गंभीरता को कम कर सकते हैं.
एमिल हेल्थकेयर एंड रिसर्च सेंटर की प्रबंध निदेशक एवं प्रसिद्ध आयुर्वेद त्वचा विशेषज्ञ डॉ. नीतिका कोहली ने दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया में विटिलिगो वाइकिंग्स 3.0 मनाया गया. इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में इस बीमारी से ग्रसित महिलाओं और युवाओं ने हिस्सा लिया. इस अवसर पर डॉ . नितिका कोहली ने सफेद दाग की चुनौतीपूर्ण वास्तविकताओं पर प्रकाश डाला और कहा कि सफेद दाग एक ऐसी स्थिति हैं जिसमें त्वचा को प्राकृतिक रंग प्रदान करने वाली कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं. यही कारण त्वचा पर सफेद दाग बनने लगते हैं.
या सफेद दाग ऐसी समस्या है जिसे लेकर हमारे समाज में तरह-तरह की धारणाएं देखने को मिलती हैं, बहुत से लोग इसे छुआ-छूत की बीमारी मानते हैं, तो कुछ लोग इसे पूर्व जन्म से भी जोड़कर देखते हैं. इन सभी भ्रांतियों से समाज को जागरूक करने के लिए 25 जून का दिन दुनिया भर में वर्ल्ड विटीलिगो डे के रूप में मनाया जाता है.