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इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज के 100 साल पूरे, अरुणा राय,  सुचेता कृपलानी, जरीन मुशर्रफ भी रही हैं  स्टूडेंट

Indraprastha women College Century Celebrations: दिल्ली विश्वविद्यालय का इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज यानि आईपी कॉलेज की स्थापना के 100 साल पूरे हो गए है. कॉलेज की शुरुआत सन् 1904 में किनारी बाजार, चांदनी चौक की गली अनार में 'इंद्रप्रस्थ कन्या पाठशाला' के रूप में हुई थी. जब एनी बेसेंट और थियोसोफिकल सोसाइटी ने इंद्रप्रस्थ गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल की स्थापना की। बाद में 1924 में ये स्कूल कॉलेज के रूप में अस्तित्व में आया.

आईपी महिला कॉलेज हुआ 100 साल का
आईपी महिला कॉलेज हुआ 100 साल का

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 7, 2024, 10:14 AM IST

Updated : Mar 4, 2024, 6:18 PM IST

नई दिल्लीःदिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) का इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज (आईपी कॉलेज) ने अपनी स्थापना के 100 साल पूरे कर लिए हैं. दिल्ली में सबसे पुराना महिला कॉलेज 1904 में एक स्कूल के रूप में शुरू हुआ, जब एनी बेसेंट और थियोसोफिकल सोसाइटी ने इंद्रप्रस्थ गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल की स्थापना की। यह कॉलेज महिला शिक्षा के लिए देश का अग्रणी संस्थान है और इस कॉलेज की इमारत को हैरिटेज बिल्डिंग का दर्जा प्राप्त है.

साल 1904 में थियोसोफिकल सोसायटी के सदस्यों ने एनी बेसेंट की पहल पर पुरानी दिल्ली में जामा मस्जिद के पीछे छीपीवाड़ा में लाला जुगल किशोर के नेतृत्व में इंद्रप्रस्थ गर्ल्स स्कूल के नाम से इसकी स्थापना की थी. यह स्कूल तीन छात्राओं के साथ शुरू किया गया था. उनमें से एक कलावती गुप्ता बाद में कॉलेज की प्राचार्या भी बनीं.1930 में यहां स्नातक की कक्षाएं शुरू हुईं. दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना के दो साल बाद ही यह कॉलेज स्थापित हुआ. जब यह कॉलेज खुला तो देश में महिलाओं के सिर्फ 19 कॉलेज थे.

मौजूदा समय में कॉलेज में स्नातक औऱ स्नातकोत्तर के करीब 30 कोर्स संचालित हैं जिनमें 3500 से ज्यादा छात्राएं अध्ययनरत हैं.कालेज में 450 छात्राओं के ठहरने के लिए दो छात्रावास हैं. कॉलेज का अपना खेल का मैदान है, एक अत्याधुनिक लाइब्रेरी है, जिसमें कॉलेज के इतिहास और आजादी के समय की घटनाओं को सहेज कर रखा गया है.कॉलेज के स्थापना के समय छात्राओं को लाने के लिए घर-घर तांगा भेजा जाता था.

आईपी महिला कॉलेज हुआ 100 साल का
कॉलेज की पूर्व प्राचार्या बबली मोइत्रा सर्राफ ने बताया कि कॉलेज की स्थापना के समय लाला जुगल किशोर घर-घर जाकर लोगों से अपनी बेटियों को कॉलेज में पढ़ने के लिए भेजने की गुजारिश करते थे. साथ ही उनकी सुरक्षा की पूरी गारंटी देते थे. साथ ही उन्हें घर से तांगे से लाने ले जाने की सुविधा भी बताते थे. तांगे में चारों तरफ से पर्दे होते थे और एक महिला भी तांगे में साथ छात्राओं को लेने जाती थी. इस तरह धीरे-धीरे करके स्कूल में छात्राओं की संख्या बढ़नी शुरू हुई थी.

देश की आजादी में भी रहा योगदान

वर्ष 1942 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया. उनके आव्हान पर कॉलेज की छात्राएं अरुणा आसफ अली के साथ आंदोलन को सफल बनाने के लिए पैंम्पलेट बांटने में जुट गईं. अंग्रेजों ने कॉलेज की छह छात्राओं को पकड़कर जेल भेज दिया. छात्राओं पर उस जमाने में 20 रुपये का जुर्माना भी लगा दिया. उन छात्राओं में एक रूप सेठ नाम की छात्रा भी थी जिसने जुर्माना देने से मना कर दिया. अंग्रेजों ने रूप सेठ को लाहौर जेल भेज दिया. वहां रूप ने जेल में चारपाई के ऊपर चारपाई रखकर चढ़कर अंग्रेजों का झंडा यूनियन जैक उतारकर तिरंगा फहरा दिया. 1930 में भी छात्राओं ने कॉलेज में तिरंगा फहराया था, जिसके बाद अंग्रेजों ने कॉलेज के छात्रावास के लिए गेंहूं का आवंटन बंद कर दिया था. ऐसे में छात्राओं ने चंदा जुटाकर व्यवस्था की और अंग्रेजों से डटकर मुकाबला किया.

आईपी महिला कॉलेज हुआ 100 साल का

जानी मानी हस्तियों ने की है कॉलेज से पढ़ाई

पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति स्व जनरल परवेज मुशर्रफ की मां जरीन मुशर्रफ ने भी आईपी कॉलेज से ही अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की पढ़ाई की थी. इसके अलावा प्रसिद्ध लेखिका कर्तुलएन हैदर, उत्सा पटनायक, मैग्सेसे अवार्ड विजेता अरुणा राय, उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार भी आईपी कॉलेज की छात्रा रही हैं.

कॉलेज में आ चुके हैं तीन-तीन प्रधानमंत्री

कॉलेज की स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के कार्यक्रम में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरला नेहरू, 50 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और 75 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आए थे. अब 100 वर्ष पूरे होने पर आज उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ एक ऐतिहासिक समारोह का हिस्सा बनेंगे.

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हैरिटेज बिल्डिंग है कॉलेज की इमारत
कॉलेज की इमारत को हैरिटेज बिल्डिंग का दर्जा दिया गया है. यह पुराना अलीपुर हाउस किले में स्थापित है. अंग्रेजों के जमाने में यह ब्रिटिश भारतीय सेना के कमांडर इन चीफ का आवास होता था.

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Last Updated : Mar 4, 2024, 6:18 PM IST

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