नई दिल्लीःदिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) का इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज (आईपी कॉलेज) ने अपनी स्थापना के 100 साल पूरे कर लिए हैं. दिल्ली में सबसे पुराना महिला कॉलेज 1904 में एक स्कूल के रूप में शुरू हुआ, जब एनी बेसेंट और थियोसोफिकल सोसाइटी ने इंद्रप्रस्थ गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल की स्थापना की। यह कॉलेज महिला शिक्षा के लिए देश का अग्रणी संस्थान है और इस कॉलेज की इमारत को हैरिटेज बिल्डिंग का दर्जा प्राप्त है.
साल 1904 में थियोसोफिकल सोसायटी के सदस्यों ने एनी बेसेंट की पहल पर पुरानी दिल्ली में जामा मस्जिद के पीछे छीपीवाड़ा में लाला जुगल किशोर के नेतृत्व में इंद्रप्रस्थ गर्ल्स स्कूल के नाम से इसकी स्थापना की थी. यह स्कूल तीन छात्राओं के साथ शुरू किया गया था. उनमें से एक कलावती गुप्ता बाद में कॉलेज की प्राचार्या भी बनीं.1930 में यहां स्नातक की कक्षाएं शुरू हुईं. दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना के दो साल बाद ही यह कॉलेज स्थापित हुआ. जब यह कॉलेज खुला तो देश में महिलाओं के सिर्फ 19 कॉलेज थे.
मौजूदा समय में कॉलेज में स्नातक औऱ स्नातकोत्तर के करीब 30 कोर्स संचालित हैं जिनमें 3500 से ज्यादा छात्राएं अध्ययनरत हैं.कालेज में 450 छात्राओं के ठहरने के लिए दो छात्रावास हैं. कॉलेज का अपना खेल का मैदान है, एक अत्याधुनिक लाइब्रेरी है, जिसमें कॉलेज के इतिहास और आजादी के समय की घटनाओं को सहेज कर रखा गया है.कॉलेज के स्थापना के समय छात्राओं को लाने के लिए घर-घर तांगा भेजा जाता था.
देश की आजादी में भी रहा योगदान
वर्ष 1942 में महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया. उनके आव्हान पर कॉलेज की छात्राएं अरुणा आसफ अली के साथ आंदोलन को सफल बनाने के लिए पैंम्पलेट बांटने में जुट गईं. अंग्रेजों ने कॉलेज की छह छात्राओं को पकड़कर जेल भेज दिया. छात्राओं पर उस जमाने में 20 रुपये का जुर्माना भी लगा दिया. उन छात्राओं में एक रूप सेठ नाम की छात्रा भी थी जिसने जुर्माना देने से मना कर दिया. अंग्रेजों ने रूप सेठ को लाहौर जेल भेज दिया. वहां रूप ने जेल में चारपाई के ऊपर चारपाई रखकर चढ़कर अंग्रेजों का झंडा यूनियन जैक उतारकर तिरंगा फहरा दिया. 1930 में भी छात्राओं ने कॉलेज में तिरंगा फहराया था, जिसके बाद अंग्रेजों ने कॉलेज के छात्रावास के लिए गेंहूं का आवंटन बंद कर दिया था. ऐसे में छात्राओं ने चंदा जुटाकर व्यवस्था की और अंग्रेजों से डटकर मुकाबला किया.