नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में अगस्त माह से शुरू होने वाले नए सत्र से स्नातक (यूजी) और स्नातकोत्तर (पीजी) कोर्सेज की पढ़ाई महंगी हो जाएगी. दिल्ली विश्वविद्यालय की शनिवार को होने जा रही कार्यकारी परिषद (ईसी) की बैठक में फीस संशोधन कमेटी द्वारा तैयार प्रस्ताव को रखा जाएगा. इस कमेटी के प्रस्ताव को डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह पहले ही मंजूरी दे चुके हैं. अब ईसी में इसे नियम 11जी के तहत रिपोर्टिंग आइटम के तौर पर रखा जाएगा. पास होने के बाद फीस बढ़ाने का रास्ता साफ हो जाएगा. ईसी की बैठक के बाद किस कोर्स में कितनी फीस बढ़ेगी इसकी भी तस्वीर साफ हो जाएगी.
किस कोर्स के लिए लगेंगे कितने रुपयेःडीयू द्वारा बीटेक कोर्स में लगातार चलता 4 साल तक फीस बढ़ाने की तैयारी है. इस साल 8000 रूपये फीस बढ़ाने के प्रस्ताव को रखे जाने की तैयारी है. इसके अलावा 5 वर्षीय लॉ कोर्स (बीए एलएलबी और बीबीए एलएलबी), इंटीग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (आईटेप), विदेशी छात्रों की फीस, पीएचडी की फीस और और नॉन कॉलेजिएट वूमेन एजुकेशन बोर्ड (एनसीवेब) की भी फीस बढ़ाने की तैयारी है. अभी बीटेक की फीस 2,16,000 है जिसे बढ़ाकर 2,24,000 करने की तैयारी है. इसी तरह लॉ के 5 वर्षीय कोर्स की फीस एक लाख 90 हजार रुपए है, जिसे बढ़ाकर करके एक लाख 99 हजार 500 किया जाएगा.
एनसीवेब के बीए और बीकॉम कोर्सेज की जो फीस अभी 3200 से 3600 रूपये है. वह बढ़कर 7130 रूपये हो जाएगी. इस तरह से अलग अलग कोर्सेज में फीस दो हजार रूपये से लेकर नौ हजार रूपये तक बढ़ाए जाने की तैयारी है. डीयू कार्यकारी परिषद के सदस्य सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि बीटेक और लॉ जैसे कोर्सेज की पढ़ाई महंगी है. इसलिए फीस बढ़ाना विश्वविद्यालय प्रशासन की मजबूरी है. लेकिन, इस फीस बढ़ोतरी से उन छात्रों पर बोझ नहीं पड़ेगा जिनके परिवार की सालाना आमदनी चार लाख रूपये से कम है. ऐसे छात्रों की पूरी फीस विश्वविद्यालय के द्वारा वापस की जाती है.
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इसके अलावा जिन छात्रों के परिवारों की सालाना आमदनी चार लाख रूपये से अधिक और आठ लाख रूपये से कम है उनकी आधी फीस वापस की जाती है. इसलिए इस फीस बढ़ोत्तरी का असर सिर्फ उन्हीं छात्रों पर पड़ेगा जो फीस देने में सक्षम हैं. शर्मा ने बताया कि बीटेक की पढ़ाई के दौरान जो छात्र लैपटॉप खरीदने की स्थिति में नहीं होते हैं विश्वविद्यालय की तरफ से उन्हें भी निशुल्क लैपटॉप उपलब्ध कराया जाता है. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह का साफ कहना है कि किसी भी गरीब छात्र को हम पैसे के अभाव में डीयू से शिक्षा लेने में असमर्थ नहीं छोड़ेंगे.
गरीब और मध्यम वर्गीय छात्रों पर बढ़ेगा बोझःवहीं, कार्यकारी परिषद के एक अन्य सदस्य अमन कुमार ने इस फीस वृद्धि को अनुचित बताया. उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय को गरीब और मध्यम वर्गीय छात्र पढ़ाई के लिए इसलिए चुनते हैं कि इसकी फीस कम है. ऐसे में फीस बढ़ाने से कहीं ना कहीं उन छात्रों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि बीटेक के कोर्स में भी चार साल तक हर साल फीस वृद्धि का प्रस्ताव रखना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि पिछले 2 साल से दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा इस तरह के कोर्सेज शुरू किए जा रहे हैं जिनकी फीस काफी ज्यादा है. स्ववित्तपोषित कोर्स से शुरू करने के कारण केंद्रीय विश्वविद्यालय का व्यवसायीकरण हो रहा है, जो कि सरासर गलत है. इससे गरीब घर के छात्र छात्राएं सीधे प्रभावित हो रहे हैं.
डूटा ने फीस बढ़ोत्तरी का किया विरोधः दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी ने प्रस्तावित शुल्क वृद्धि का विरोध किया है. डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि विभिन्न विश्वविद्यालय के विभागों जैसे बीटेक, बीए एलएलबी एकीकृत, आईटीईपी, सीआईसी, एनसीडब्ल्यूईबी, पीएचडी, एसीबीआर आदि द्वारा संचालित कार्यक्रम प्रभावित होंगे. कॉलेजों से ली जाने वाली विश्वविद्यालय विकास निधि आदि को भी संशोधित करने का प्रस्ताव किया गया है. इसका असर सभी कॉलेज संचालित पाठ्यक्रमों पर पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे केंद्रीय विश्वविद्यालय में विभिन्न मदों के तहत छात्रों से उच्च शुल्क लेना अस्वीकार्य है. डीयू सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े सहित सभी वर्गों के छात्रों की ज़रूरतों को पूरा करता है. इसका मतलब है कि डीयू में शिक्षा धीरे-धीरे महंगी होती जा रही है. यह स्व-वित्तपोषण मॉडल की ओर एक बदलाव है. डीयू और इसके कॉलेज (12 कॉलेजों को छोड़कर) केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं. शुल्क वृद्धि के लिए केंद्र सरकार की कोई स्वीकृति नहीं है. इसलिए इस शुल्क वृद्धि को ईसी बैठक के एजेंडे से हटा दिया जाना चाहिए.
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