नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड को निर्देश दिया है कि वो 2016 में एक गड्ढे में गिरने से मृत नौ वर्षीय बच्चे के परिजनों को 22 लाख रुपये का मुआवजा दे. जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव की बेंच ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड की लापरवाही की वजह से बच्चे की जान गई. हाईकोर्ट ने कहा, जहां गड्ढा था उस भूमि के सुरक्षित रखरखाव की जिम्मेदारी दिल्ली जल बोर्ड की थी. लेकिन, जल बोर्ड ऐसा करने में नाकाम रहा. याचिका मृत बच्चे के माता-पिता ने दायर की थी.
याचिका में कहा गया था कि जुलाई 2016 में बच्चा दूसरे बच्चों के साथ पतंग उड़ा रहा था. इस दौरान बच्चा पतंग के पीछे दौड़ते हुए बरसात के पानी से भर चुके गड्ढे में गिर गया. जब बच्चा देर तक घर नहीं लौटा तो उसके परिजनों ने उसके बारे में दूसरे बच्चों से पूछा और उस खाली जमीन में पहुंचे जहां गड्ढा था. तब वहां बच्चे का शव मिला. गड्ढा जिस जगह था वो भूमि दिल्ली जल बोर्ड की थी.
जो जिम्मेदार है उससे रकम वसूली जाए-कोर्ट: सुनवाई के दौरान दिल्ली जल बोर्ड ने कहा कि घटना के समय उस भूमि के रखरखाव की जिम्मेदारी टाटा पावर की थी. कोर्ट ने कहा कि अगर दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक उसने ये भूमि टाटा पावर को दी थी और उस भूमि के रखरखाव के लिए टाटा पावर जिम्मेदार थी तो वे उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर जुर्माने की रकम वसूले.
टाटा पावर के खिलाफ सुनवाई योग्य नहीं: सुनवाई के दौरान टाटा पावर ने कहा कि ये याचिका उसके खिलाफ सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने उसके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया है. कोर्ट ने पाया कि मैप और दस्तावेजों के मुताबिक संबंधित भूमि टाटा पावर को आवंटित नहीं की गई थी और वो दिल्ली जल बोर्ड के पास ही थी. ऐसें उस भूमि के रखरखाव में दिल्ली जल बोर्ड की लापरवाही साफ दिख रही है.
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