नई दिल्ली: दिल्ली में 2025 तक बसों की फ्लीट 10,480 करने का लक्ष्य रखा गया है. वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिल्ली कुल फ्लीट में 80 प्रतिशत यानी 8 हजार से अधिक बसें इलेक्ट्रिक होंगी. 17 जनवरी 2022 से दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसों का आना शुरू हुआ. करीब ढाई साल होने को हैं, लेकिन अभी तक सिर्फ 1.650 इलेक्ट्रिक बसें ही सड़कों पर उतर पाई हैं. बस बनाने वाली कंपनियों और बस डिपो के इलेक्ट्रिफिकेशन के काम में ढिलाई के कारण भी बसें नहीं आ पा रही हैं.
दिल्ली में 14 फरवरी 2024 को आखिरी बार 350 इलेक्ट्रिक बसें आईं थी. इसके बाद से इलेक्ट्रिक बसें नहीं आई हैं. जबकि, दिल्ली सरकार ने कंपनियों से अनुबंध के अनुसार कहा था कि दिल्ली में हर माह इलेक्ट्रिक बसें आएंगी. अभी 1,350 इलेक्ट्रिक बसें दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के अधीन चल रही हैं. वहीं, 300 इलेक्ट्रिक बसें क्लस्टर योजना के तहत दिल्ली में चल रही हैं. ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों की मानें तो जिन कंपनियों को बसें बनाने का आर्डर दिया गया है. उनकी तरफ से विलंब हो रहा है. हालांकि, दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का कहना है कि बहुत जल्द नई इलेक्ट्रिक बसें दिल्ली की सड़कों पर उतारी जाएगी, जिससे यात्रियों को राहत मिल सके.
1500 करोड़ रुपये में होगा डिपो का इलेक्ट्रिफिकेशनःदिल्ली में कुल 62 डिपो हैं, जहां से दिल्ली में बसों का संचालन होता है. दिल्ली में कुल 1650 इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं. इन बसों को चार्ज करने के लिए बस डिपो का इलेक्ट्रिफिकेशन करना होता है. 16 बस डिपो का इलेक्ट्रिफिकेशन हो चुका है. नागलोई, राजघाट, हौज खास और पीरागढ़ी बस डिपो का इलेक्ट्रिफिकेशन का काम जल्द होगा. बस डिपो के इलेक्ट्रिफिकेशन में दिल्ली सरकार ने 1500 करोड़ रुपये खर्च कर रही है.
दिल्ली की सड़कों पर चल रही ओवरएज हो चुकी बसेंःअभी डीटीसी के बेड़े में कुल 4195 बसें हैं. इसमें 1300 इलेक्ट्रिक और 2895 सीएनजी की पुरानी बसें हैं. इनमें से 90 प्रतिशत बसें 2022 में ही ओवरएज हो चुकी हैं. डीटीसी अधिकारियों के मुताबिक, 2025 के अंत तक इन बसों को चलाने की विशेष अनुमति मिली थी. यह समय पूरा होने पर सभी सीएनजी बसें स्क्रैप में जाएगी. वहीं, क्लस्टर योजना के तहत 3147 बसें दिल्ली में चल रही हैं. इनमें 300 इलेक्ट्रिक बसें हैं. 997 बसें बीती 19 जून को ओवरएज हो गईं. इन्हें चलाने के लिए हाईकोर्ट से विशेष अनुमति ली गई है.