नई दिल्ली:दिल्ली पुलिस ने 37 साल के एक शातिर लुटेरे को गिरफ्तार किया है. आरोपी ने 2017 में करोल बाग इलाके के एक ज्वैलर के घर में डकैती की थी. आरोपी को 2020 में पैरोल पर 7 दिन की अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया था लेकिन तब से ही वह फरार चल रहा था. आरोपी की पहचान नरेंद्र कुमार (37) के रूप में हुई है जो कि मूल रूप से हरियाणा के पलवल का रहने वाला है. आरोपी का छोटा भाई पहले से ही पड़ोस में हुए झगड़े और मर्डर के मामले में फरीदाबाद जेल में बंद है.
ऐसे दिया वारदात को अंजाम
क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल के मुताबिक 26 जुलाई 2017 को दोपहर तकरीबन 1:45 बजे, करोल बाग इलाके में एक घर में दिनदहाड़े डकैती हुई थी. शिकायतकर्ता ने बताया था कि वह एक गृहिणी हैं और अपने परिवार के सदस्यों के साथ घर पर रहती हैं. उनके पति और ससुर की चांदनी चौक में ज्वेलरी की दुकान है. जिस वक्त यह घटना घटी थी वह अपने बेटे और सास के साथ घर पर मौजूद थीं.
शिकायतकर्ता की देवरानी किसी काम से थर्ड फ्लोर पर गई थी. इस बीच घर के दरवाजे की घंटी बजी और उसने देखा कि बाहर पुलिस की वर्दी में एक शख्स खड़ा है. साथ ही तीन लोग सिविल ड्रेस मेंउनके गेट के बाहर खड़े हैं. पुलिस की वर्दी में मौजूद व्यक्ति ने उसे बताया कि वे सीबीआई अधिकारी हैं और गेट खोलने के लिए कहा. जब उन्होंने गेट खोला तो वे घर में घुस आए और उनमें से एक ने उनके बेटे को उठाया और उसके सिर पर बंदूक तान दी. उन्होंने उसकी सास के हाथों को दुपट्टे से बांध दिया और उसके मुंह पर टेप लगा दी.
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उनमें से एक ने उसके ऊपर पैर रख कर उसे पकड़ लिया और सारे पैसे और गहने उन्हें सौंपने की धमकी दी. महिला ने उन्हें आलमारी की चाबियां सौंप दीं. आरोपी पैसे और गहने खोजने लगे. जब यह सब चल रहा था, तो उसकी देवरानी तीसरी मंजिल से नीचे आईं. उन्होंने खिड़की से देखा कि घर में सभी को बंधक बना लिया गया है. वह दरवाजा पीटने लगीं और 'चोर-चोर' चिल्लाने लगी. इसके बाद हमलावर गहने और एक मोबाइल फोन लेकर भाग गए.
पैरोल पर जेल से बाहर आने के बाद हुआ था फरार
पुलिस ने इसको लेकर मामला दर्ज कर लिया और जांच में जुट गई. आरोपी नरेंद्र कुमार को वर्तमान मामले में पहले गिरफ्तार किया गया था और वह 2020 तक जेल में था. उसे अपनी पत्नी की मेडिकल स्थिति की वजह से 23 जून 2020 को 7 दिनों की अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया था, लेकिन वह पैरोल से बाहर आने के बाद से बाहर है और सरेंडर नहीं किया था. वह तभी से फरार चल रहा था.
पैतृक गांव पलवल से पकड़ा गया आरोपी
इस मामले में आरोपी की गिरफ्तारी के लिए एसीपी रमेश लांबा के सुपरविजन में इंस्पेक्टर मनमीत मलिक के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया और आरोपी के बारे में जानकारी एकत्र की गई. टीम ने उसके पैतृक गांव पलवल में छापेमारी की लेकिन वह घर पर नहीं मिला. परिजनों ने बताया कि वह यहां नहीं आता है. इसके बाद पुलिस ने दो दिनों तक उसके घर के पास डेरा डाले रखा और हर आने जाने वाले पर पूरी नजर रखी. बताया जाता है कि गिरफ्तारी से 5-6 दिन पहले ही वह एक फाइनेंशियल सेटलमेंट को लेकर पलवल आया था और घर के पास ही 'घेर' में छुप कर रह रहा था जहां पुलिस ने छापेमारी कर उसको दबोच लिया.
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