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तिहाड़ जेल में विजिटर्स बोर्ड के गठन को लेकर LG और CM आतिशी में टकराव, लिखा पत्र - TIHAR JAIL VISITORS BOARD - TIHAR JAIL VISITORS BOARD

दिल्ली के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच फिर से टकराव देखने को मिला है. इस बार मुद्दा तिहाड़ जेल में बंद कैदियों और दोषियों की शिकायतों की सुनवाई के लिए जेल में विजिटर्स बोर्ड का गठन का है. इसको लेकर एलजी ने पत्र लिखा है. पढ़िए पूरी खबर...

दिल्ली के एलजी और सीएम आतिशी के बीच टकराव
दिल्ली के एलजी और सीएम आतिशी के बीच टकराव (File Photo)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 1, 2024, 11:00 AM IST

नई दिल्ली: तिहाड़ जेल में बंद कैदियों और दोषियों की शिकायतों की सुनवाई के लिए जेल में विज़िटर्स बोर्ड का गठन पिछले 5 साल से पेंडिंग है. अब इस बोर्ड के गठन को लेकर दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी और उपराज्यपाल वी के सक्सेना में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है. बोर्ड के गठन का मामला दिल्ली हाई कोर्ट में भी चल रहा है.

क्या है विजिटर्स बोर्डःवर्ष 2019 में ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बोर्ड बनाने का आदेश दिया था. मगर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इसको लेकर दिल्ली सरकार पर कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया है. उपराज्यपाल ने इस संबंध में मुख्यमंत्री आतिशी को एक पत्र भी लिखा है. पत्र में कहा है कि जेल में विजिटर्स का बोर्ड कानून के अनुसार अनिवार्य है और इसे बनाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने सितंबर 2019 में आदेश दिया था. जो अब 5 वर्षों से पेंडिंग है. यह बोर्ड सजायाफ्ता कैदी वह दोषियों की शिकायतों को सुनने के लिए एक प्लेटफार्म के रूप में काम करता है. अधिकारियों को कैदियों की समस्या का हल निकालने में मदद देता है.

दिल्ली के एलजी ने सीएम आतिशी को लिखा पत्र (ETV Bharat)

'दिल्ली सरकार सिर्फ तारीख दे रही है...'
उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि दिल्ली सरकार एक के बाद एक तारीख देकर कोर्ट को गुमराह करती रही है. पिछले महीने 11 सितंबर को हाईकोर्ट ने इस संबंध में दिल्ली के गृह मंत्री को खुद हलफनामा दाखिल करने और गृह सचिव को 1 अक्टूबर यानि आज कोर्ट में उपस्थित होने को कहा है. मगर मुख्यमंत्री ने कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले 30 सितंबर को उन्हें कानून द्वारा निर्धारित जिला जज की जगह जिला अधिकारी को अध्यक्ष के रूप में सलाहकार मंडल में नियुक्त करने की फाइल भेजी है.

उन्होंने कहा है कि वह हाईकोर्ट को बता रहे हैं कि फाइल उपराज्यपाल के पास है. ऐसे में उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को भेजे नोट में कहा है कि एक अक्टूबर को हाईकोर्ट में इसे पेश किया जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके. जेलों में विज़िटर्स बोर्ड बनाने को लेकर एलजी द्वारा लगाए गए आरोपों पर आम आदमी पार्टी ने प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि उपराज्यपाल के पास दिल्ली के कुछ मंत्रियों पर निशाना साधने के अलावा कोई काम नहीं है. उपराज्यपाल सर्विसेज के प्रमुख हैं.

बता दें कि दिल्ली की तिहाड़ जेल क्षमता से कहीं ज्यादा कैदी हैं. यहां कर्मचारियों की भी भारी कमी है. इसे देखते हुए पिछले अगस्त माह में उपराज्यपाल ने 3,247 अतिरिक्त पदों के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. कर्मचारियों की कमी को लेकर बीते कुछ सालों से मांग की जा रही थी. इनमें जेल सुपरिंटेंडेंट से लेकर डिप्टी सुपरिंटेंडेंट, अस्सिटेंट सुपरीटेंडेंट, हेड वार्डर, अकाउंट ऑफिसर, असिस्टेंट और ड्राइवर जैसे पद शामिल हैं. नए पदों के गठन और नियुक्ति की प्रक्रिया छह माह के भीतर पूरी करने का कहा गया है. साथ ही उपराज्यपाल ने जेल कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के लिए जेल कैडर के पुनर्गठन को भी मंजूरी दी.

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