दिल्ली

delhi

अप्राकृतिक यौन शोषण का प्रावधान नहीं होने के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट का केंद्र को नोटिस - New Criminal Law

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 13, 2024, 7:17 PM IST

नए कानून में जबरदस्ती बनाए गए अप्राकृतिक यौन सबंध से निपटने के लिए कोई प्रावधान न होने को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से कहा कि वो इस बारे में निर्देश लेकर अगली सुनवाई पर कोर्ट को अवगत कराएंगे. अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी.

delhi news
नए आपराधिक कानून (file photo)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने अप्राकृतिक यौन सबंध बनाने के मामले से निपटने के लिए नए आपराधिक कानून में कोई प्रावधान न होने को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि वो इस मुद्दे पर निर्देश लेकर अगली सुनवाई पर सूचित करें. इस मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी.

यौन उत्पीड़न के शिकार पुरुषों के लिए नए कानून में प्रावधान नहीं: इस मामले में याचिकाकर्त्ता गंतव्य गुलाटी का कहना था कि पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत अप्राकृतिक यौन सबंध बनाने पर सजा का प्रावधान था, लेकिन नए आपराधिक कानून में इस धारा को खत्म कर दिया गया और कोई नई धारा भी नहीं जोड़ी गई है. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इसके चलते अभी अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न के शिकार पुरुषों और शादीशुदा संबंध में इस तरह के संबंधों को झेलने वाली महिलाओं के लिए कोई कानूनी राहत का प्रावधान नए कानून में नहीं है.

यौन उत्पीड़न की शिकायत होने पर एफआईआर: उन्होंने कहा कि अगर कोई पुरुष दूसरे पुरुष का यौन उत्पीड़न करता है तो उसकी शिकायत होने पर एफआईआर भी दर्ज नहीं होगी. जब तक नये आपराधिक कानून में अप्राकृतिक यौन शोषण के खिलाफ प्रावधान नहीं किया जाएगा. एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि ये मामला संबंधित मंत्रालय के समक्ष विचाराधीन है.

उन्होंने कहा कि इस याचिका का निस्तारण कर दिया जाए और याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन पर केंद्र सरकार को विचार करने का आदेश जारी किया जाए, लेकिन हाईकोर्ट ने केंद्र की इस दलील को अस्वीकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि ये मामला एलजीबीटी समुदाय के खिलाफ हिंसा से भी जुड़ा है. इसलिए आप केंद्र सरकार से निर्देश लेकर आएं.

ये भी पढ़ें:जानें, तीन नए आपराधिक कानूनों का न्याय व्यवस्था और नागरिकों पर क्या असर होगा

ये भी पढ़ें:नए आपराधिक कानून लागू, इसके प्रभावों के बारे में जानें कानूनी विशेषज्ञों की राय

ABOUT THE AUTHOR

...view details