नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) से पूछा है कि वे बताएं कि 2008 में कलर ब्लाइंडनेस से पीड़ित होने के बावजूद करीब सौ ड्राइवरों की नियुक्ति कैसे हुई. जस्टिस चंद्रधारी सिंह की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च को करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि ये लोगों की सुरक्षा से जुड़ा मसला है. ये काफी दुखद है कि कोर्ट एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा है, जहां याचिकाकर्ता विभाग ने ड्राइवरों की नियक्ति में घोर लापरवाही की.
इसके अलावा दिल्ली परिवहन निगम के चेयरपर्सन को हाईकोर्ट ने व्यक्तिगत हलफनामा दायर कर यह भी बताने को कहा है कि जो लोग कलर ब्लाइंडनेस के शिकार थे, उन्हें बस चालक कैसे नियुक्त किया गया. कोर्ट ने कहा कि इन ड्राइवरों की नियुक्ति 2008 में हुई और पांच सालों तक डीटीसी गहरी नींद में सोया रहा.