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मस्तिष्क मेटास्टेसिस के साथ स्तन कैंसर से जूझ रही महिला को मिली नई जिंदगी, जानिए कैसे हुआ इलाज? - BREAST CANCER WITH BRAIN METASTASIS

स्तन कैंसर से जूझ रही महिला का कैंसर ठीक होने के डेढ़ साल बाद सिर में पहुंचने से हो गया था मस्तिष्क मेटास्टेसिस

स्तन कैंसर से जूझ रही महिला को मिली नई जिंदगी
स्तन कैंसर से जूझ रही महिला को मिली नई जिंदगी (file photo)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 3, 2025, 8:45 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के बड़े अस्पताल में शुमार सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही एक 58 वर्षीय महिला का इलाज करने में सफलता प्राप्त की है. महिला रोगी को एस्ट्रोजन रिसेप्टर-पॉजिटिव लो स्तन कैंसर था. इस कैंसर की वजह से मेनिन्जियल इंवॉल्वमेंट और मस्तिष्क मेटास्टेसिस (कैंसर का सिर में पहुंचना) नामक बीमारी विकसित हो गई. इस रोगी का प्रारंभिक इलाज हार्मोनल थेरेपी से किया गया था, जिससे बिना कीमोथेरेपी के बीमारी लगभग ठीक हो गई थी.

हालांकि, डेढ़ साल बाद कैंसर मस्तिष्क तक फैल गया, जिससे एक महत्वपूर्ण चुनौती उत्पन्न हो गई. सर गंगा राम अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के चेयरमैन डॉ. श्याम अग्रवाल ने बताया कि मस्तिष्क तक बीमारी फैलने के कारण रोगी की स्थिति और बिगड़ गई. मरीज में सिरदर्द, उल्टी और चलने में कठिनाई जैसी गंभीर न्यूरोलॉजिकल लक्षण सामने आए. इस समस्या का समाधान करने के लिए मरीज को मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड पर रेडियोथेरेपी दी गई. साथ ही इंट्रास्पाइनल कीमोथेरेपी भी की गई. इससे मरीज की हालत में मामूली सुधार हुआ, लेकिन बीमारी के लक्षण बने रहे.

कैंसर से जूझ रही महिला को मिली नई जिंदगी (ETV BHARAT)

ट्रैस्टुज़ुमैब डेरक्सटेकन दवाई का उपयोग:

डॉक्टर श्याम ने बताया कि फिर ट्रैस्टुज़ुमैब डेरक्सटेकन दवाई का उपयोग किया गया. यह एक नई दवाई एंटीबॉडी-ड्रग कंजुगेट है, जो लो स्तन कैंसर के प्रकार एस्ट्रोजन रिसेप्टर की कोशिकाओं को टारगेट करता है. डॉक्टर श्याम ने आगे बताया कि विशेष रूप से (टी-एक्सडी) का एक अनूठा गुण यह है कि यह ब्लड-ब्रेन बैरियर को पार करने की क्षमता रखता है, जो मस्तिष्क में फैलने वाले स्तन कैंसर के इलाज में एक उम्मीद की किरण है.

मस्तिष्क मेटास्टेसिस स्तन कैंसर इलाज के लिए चुनौतीपूर्ण:

डॉक्टर ने बताया कि मस्तिष्क मेटास्टेसिस विशेष रूप से स्तन कैंसर में इलाज के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होता है. इसमें कैंसर के पारंपरिक उपचारों कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी का प्रभाव सीमित होता है. टी-एक्सडी की सिर्फ दो खुराकों के बाद मरीज में नाटकीय सुधार हुआ. उसकी निचले अंगों की कमजोरी में काफी कमी आई, वह फिर से चलने में सक्षम हो गई. साथ ही उसकी मूत्र नियंत्रण क्षमता वापस लौट आई, जिससे उसकी कैथेटर को हटा दिया गया. धीरे-धीरे समय के साथ दवाई के सेवन से मरीज की गतिशीलता में सुधार हुआ और जीवन की गुणवत्ता बेहतर हुई. डॉक्टर श्याम अग्रवाल ने बताया कि यह मामला उन्नत स्तन कैंसर के इलाज में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. सर गंगा राम अस्पताल के चेयरमैन डॉ. अजय स्वरूप ने कहा कि अस्पताल का यह प्रयास है कि हम अत्याधुनिक दवाइयों और नवीनतम रेडियोथेरेपी पद्धतियों का उपयोग करके सबसे व्यापक कैंसर देखभाल प्रदान करें.

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