नई दिल्ली:प्रस्तावित एडवोकेट अमेंडमेंट बिल, 2025 को केंद्र सरकार की ओर से वापस लेने के बाद दिल्ली में वकीलों ने हड़ताल खत्म कर दिया है. कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल बार एसोसिएशन ऑफ दिल्ली ने एडवोकेट अमेंडमेंट बिल के वापस लेने के केंद्र के फैसले के बाद यह फैसला लिया है.
कोऑर्डिनेशन कमेटी ने अपने बयान में कहा है कि सभी बार एसोसिएशन के सदस्यों के सहयोग से केंद्र सरकार को प्रस्तावित एडवोकेट अमेंडमेंट बिल, 2025 वापस लेना पड़ा है. कोऑर्डिनेशन कमेटी के वकीलों के अखिल भारतीय संगठन ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के दिल्ली के राज्य सचिव सुनील कुमार ने इसे वकीलों की एकजुटता का परिणाम बताया है. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित ड्राफ्ट बिल के जरिए वकीलों की आवाज को दबाने की कोशिश की गई थी.
बता दें कि दिल्ली के वकील प्रस्तावित एडवोकेट अमेंडमेंट बिल, 2025 के विरोध में 17 फरवरी से हड़ताल पर थे. आज हड़ताल के छठे दिन भी दिल्ली की सभी निचली अदालतों के वकीलों ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया, जिसकी वजह से मामले में सुनवाई नहीं हो सकी और पक्षकारों को केवल डेट ही मिली. कोऑर्डिनेशन कमेटी के मुताबिक, एडवोकेट अमेंडमेंट बिल वकीलों की गरिमा और स्वतंत्रता पर हमला था, कोऑर्डिनेशन कमेटी का कहना था कि इससे बार एसोसिएशन की ताकत को कम करने की कोशिश की जा रही है.
अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक-2025 का मसौदा कानून मंत्रालय ने जारी किया है. इसमें एडवोकेट एक्ट-1961 में कई संशोधन प्रस्तावित हैं. इसके तहत धारा 35-A को शामिल किया जा रहा है. इसमें न्यायालय के काम से बहिष्कार करने पर रोक लगाने का प्रावधान है. इस अमेंडमेंट बिल की धारा 35ए वकीलों को न्यायिक कार्यों के बहिष्कार करने के अधिकार को रोकता है. इसके अलावा अमेंडमेंट बिल के मुवक्किलों की ओर से दिए गए दस्तावेज अगर फर्जी पाए गए तो उसकी जिम्मेदारी वकील की होगी.
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