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दिल्ली कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने की LG से मुलाकात, एससी समुदाय का मेयर बनाने के लिए सौंपा ज्ञापन - Delhi Congress delegation met LG

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने LG से मुलाकात की. इस दौरान मेयर शेली ओबेरॉय के अवैध तरीके से पद पर बने रहने के संबंध में ज्ञापन सौंपा और अनुसूचित जाति के सदस्य को मेयर बनाने की मांग की.

दिल्ली कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने की उपराज्यपाल  से मुलाकात
दिल्ली कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने की उपराज्यपाल से मुलाकात (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 2, 2024, 9:01 PM IST

दिल्ली कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने की उपराज्यपाल से मुलाकात (ETV BHARAT)

नई दिल्ली:दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव के नेतृत्व में सोमवार को दिल्ली कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने राज निवास में उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात की. इस दौरान मौजूदा दिल्ली की मेयर शेली ओबेरॉय के अवैध तरीके से पद पर बने रहने के संबंध में उपराज्यपाल को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में बताया है कि शैली ओबेरॉय अप्रैल 2024 से बिना चुनाव कराए अपने पद पर हैं. जबकि, उनका कार्यकाल 31 मार्च, 2024 को समाप्त हो गया था.

यादव ने कहा कि कांग्रेस पार्टी नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में दलितों, पिछड़ों और वंचितों के न्याय की लड़ाई हमेशा लड़ती रही है. प्रतिनिधिमंडल में कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन एवं पूर्व विधायक अनिल भारद्वाज, पूर्व मेयर फरहाद सूरी, पूर्व पार्षद अभिषेक दत्त, निगम में कांग्रेस दल की नेता, निगम पार्षद नाजिया दानिश, निगम पार्षद हाजी जरीफ और निगम पार्षद शगुफ्ता चौधरी शामिल थी.

देवेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के तीसरे वर्ष में, एक अनुसूचित जाति के सदस्य का मेयर बनना था, लेकिन सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने चुनाव नहीं कराया. AAP ने गैर संवैधानिक तरीके से एक ही व्यक्ति को मेयर पद पर बैठा देने के कारण अनुसूचित जाति के पार्षद को मेयर बनने से वंचित कर दिया है.

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उन्होंने उपराज्यपाल के संज्ञान में लाया कि एमसीडी अधिनियम (धारा-35) के प्रावधानों के अनुसार, एमसीडी के तीसरे वर्ष में अप्रैल तक सदन के एक अनुसूचित जाति के सदस्य को मेयर के रूप में चुना जाना चाहिए. जबकि, निवर्तमान मेयर आज तक इस पद पर अवैध रूप से काबिज हैं और 31 मार्च, 2024 के बाद उनके द्वारा लिए गए सभी निर्णय “अवैध और अदालत में चुनौती देने योग्य“ है.

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