नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र के लिए बीजेपी विधायकों को निलंबित करने के दिल्ली विधानसभा के आदेश को निरस्त कर दिया है. बुधवार को यह फैसला सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने सुनाया. इससे पहले 27 फरवरी को हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. न्यायालय ने मामले पर सुनवाई के दौरान कहा था कि कोर्ट में मामला लंबित रहने के दौरान विशेषाधिकार समिति को आगे की कार्रवाई को जारी नहीं रखना चाहिए. सुनवाई के दौरान दिल्ली विधानसभा के वकील ने कहा था कि बीजेपी के निलंबित सात विधायकों के खिलाफ चल रही कार्यवाही बिना देरी के खत्म हो जाएगी और उनका निलंबन असहमति के आवाज को खत्म करना कतई नहीं है.
सुनवाई के दौरान दिल्ली विधानसभा की ओर से पेश वकील सुधीर नंद्राजोग ने कहा था कि विधायकों का निलंबन, विपक्षी विधायकों के गलत आचरण के खिलाफ स्व-अनुशासन की एक प्रक्रिया है. उन्होंने सात विधायकों की ओर से दाखिल याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि, विधानसभा अपनी गरिमा बनाये रखने को लेकर विवेक का इस्तेमाल करता है. जब विधायकों ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को माफी मांगते हुए पत्र लिखा, तो उन्हें विधानसभा को भी ऐसा ही पत्र लिखना चाहिए था. तब कोर्ट ने विधायकों की ओर से पेश वकील जयंत मेहता से कहा था कि, इस मामले को सुलझाएं और विधानसभा को सम्मानपूर्वक पत्र लिखें.
सुनवाई के दौरान नंद्राजोग ने कहा था कि निलंबित विधायकों ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है. विधायकों को निलंबित किए जाने को आम आदमी पार्टी के बहुमत के राजनीतिक रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा था कि इस मामले में विपक्ष के नेता भी बराबर के दोषी हैं, लेकिन उन्हें निलंबित नहीं किया गया. अगर असहमति की आवाज को बंद करना होता तो विपक्ष के नेता को भी निलंबित कर दिया जाता. विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने अभी कोई कार्यवाही नहीं की है. इस मामले में देरी इसलिए की जा रही है, क्योंकि मामला कोर्ट में लंबित है. विशेधाधिकार समिति की देर करने की मंशा नहीं है. किसी भी अंतिम फैसले पर पहुंचने से पहले इन विधायकों का पक्ष सुना जाएगा.