दौसा. जिले की साइबर थाना पुलिस ने शनिवार को ट्रेडिंग के नाम पर साइबर ठगी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश करते हुए 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. साइबर ठग लोगों को टेलीग्राम ग्रुप में जोड़कर रुपए डबल करने का झांसा देकर लोगों को अपने जाल में फंसाते थे. इस तरह से साइबर ठगों ने देश सहित विदेशों में भी साइबर ठगी का नेटवर्क चला रखा था. साइबर ठग इतने शातिर थे कि ठगी की राशि का क्रिप्टोकरेंसी और यूएसडीटी हवाला के माध्यम से लेनदेन करते थे.
साढ़े 26 लाख की ठगी को दिया था अंजाम : दरअसल, दौसा पुलिस के संज्ञान में मामला तब आया जब जिले के दुब्बी निवासी संजय पीलवाल पुत्र बाबूलाल पीलवाल ने ठगी के मामले में प्राथमिकी दर्ज करवाई. पीड़ित ने दर्ज प्राथमिकी में बताया कि मुझे एक टेलीग्राम ग्रुप में जोड़कर रुपए डबल करने का झांसा दिया गया था. ऐसे में आरोपियों ने मुझसे 26 लाख 60 हजार 338 रुपए ऐंठ लिए. इस दौरान साइबर पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच शुरू की. साथ ही एसपी वंदिता राणा ने मामले में साइबर थाना पुलिस और साइबर सेल की एक टीम का गठन किया. इसके बाद टीम ने मामले में बारीकी से जांच करते हुए पीड़ित के बैंक खाते से जिन खातों में राशि ट्रांसफर हुई उनकी जानकारी जुटाई गई.
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विदेशों में भी साइबर ठगों के नेटवर्क की हुई पुष्टि :इस दौरान जांच में सामने आया कि आरोपी एक अंतरराष्ट्रीय साइबर ठग गिरोह से जुड़े हुए थे, जो राजस्थान, गुजरात, मुंबई, महाराष्ट्र, यूपी, मध्यप्रदेश, बिहार, दिल्ली सहित दुबई, कंबोडिया, वियतनाम और थाईलैंड में रहकर साइबर ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं. ऐसे में साइबर सेल की एक टीम को आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए मुंबई रवाना किया गया, जहां से साइबर सेल टीम ने खाता यूजर और उसके कुछ सहयोगियों को डिटेन किया. साइबर सेल ने जिन लोगों को डिटेन किया था, वो मुख्य आरोपियों के साथ मिलकर फर्जी कंपनियां और फर्म बनाकर इनके नाम से फर्जी बैंक खाते खुलवाकर साइबर ठगी करते थे.
इस तरह साइबर ठगी को देते थे अंजाम : एसपी वंदिता राणा ने बताया कि साइबर ठग टेलीग्राम पर एक ग्रुप के माध्यम से लोगों को जोड़ते थे. इसके बाद ट्रेंडिंग के नाम पर सीमित समय में रुपए डबल करने का झांसा देते थे. ऐसे में आरोपी पीड़ित को पूरी तरह अपने जाल में फंसा कर उसके साथ ठगी की वारदात को अंजाम देते थे. ठगी का पैसा प्राप्त करने के लिए आरोपियों ने मुंबई व गुडगांव जैसे बड़े महानगरों में किराए पर ऑफिस संचालित कर रखा था, जहां फर्जी फर्म और प्रॉपराइटर्स का रजिस्ट्रेशन करवाकर उधम पर रजिस्ट्रेशन करवाकर चालू बैंक खाते खुलवाए हैं, जिससे लेनदेन अधिक किया जा सके. साथ ही पीड़ित को भी यही लगे कि वो किसी व्यक्ति को पैसे ना डालकर किसी फर्म में पैसे डाल रहे हैं.