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पिता की मृत्यु पर बेटों की तरह किए सभी संस्कार, पगड़ी दस्तूर में बेटियों के सिर बांधी गई पाग

कोटा के इटावा शहर में पिता के निधन के बाद के सभी संस्कार बेटियों ने निर्वहन किए. यहां तक कि पिता को कंधा और पगड़ी दस्तूर भी बेटियों की ओर से ही निभाए गए.

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 1, 2024, 12:02 PM IST

rites after the death by daughters
पिता की मृत्यु पर सभी संस्कार बेटियों ने किए

पिता की मृत्यु पर सभी संस्कार बेटियों ने किए

इटावा (कोटा).जिले के इटावा उपखंड में एक मामला सामने आया है. यहां पिता का निधन होने पर बेटियों ने ही पिता को कंधा दिया. इसके बाद मृत्यु के उपरांत होने वाले सभी संस्कार भी बेटियों ने ही निर्वहन किए. पगड़ी दस्तूर के दौरान भी बेटियों के सिर पर ही पाग बांधी गई और उन्हें ही बेटा मानकर पूरी प्रक्रिया की गई.

दरअसल, इटावा शहर के रहने वाले पतरामदास दास की मौत 17 जनवरी को हो गई थी. उनके बेटा नहीं होकर दो बेटियां प्रमिला और रीना ही थी. ऐसे में अंतिम संस्कार की रस्म भी दोनों बेटियों ने ही अदा की. उन्होंने अपने पिता को कंधा दिया और उसके बाद दाह संस्कार भी किया. बुधवार को 12वें की रस्म आयोजित की गई. इस दौरान सभी संस्कार व रस्म दोनों बेटियों रीना व प्रमिला ने की. उन्हें ही पिता की पगड़ी बांधी गई. इसके साथ ही उन्हें परिजनों ने बेटों की तरह सम्मान दिया.

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प्रमिला का कहना है कि बेटा नहीं होने पर उनके पिता हमेशा कहते थे कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं होती. आज के युग में बेटों की अपेक्षा बेटियां ही माता-पिता की जरूरत और सहयोग में काम आती है. साथ ही माता-पिता के दुख दर्द में बेटियां भी हाथ बटाती है. बैरवा समाज की ओर से उठाए गए इस सामाजिक और समानता के कदम की लोगों ने सराहना की.

पीडब्ल्यूडी के अतिरिक्त मुख्य अभियंता पद से सेवानिवृत एसके बैरवा ने कहा कि समाज के साथ ही बेटियों को भी बेटों के समान दर्जा दिए जाने से समाज के लोग तो खुश है. अन्य वर्गों में भी इस प्रकार की परंपरा लागू हो, ताकि लिंग भेदभाव का नजरिया खत्म किया जा सके.

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