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बेटा मोर्चरी में छोड़ गया पिता का शव, बेटियों ने अर्थी को दिया कंधा, मुखाग्नि देकर निभाया फर्ज - Daughters Performed Last Rites - DAUGHTERS PERFORMED LAST RITES

Daughters Performed Last Rites, राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में गुरुवार को एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसे देख सभी की आंखें नम हो गई. बेटा पिता की लाश को अस्पताल की मोर्चरी में छोड़कर चला तो वहीं, बेटियों ने पिता की अर्थी को कंधा दिया और फिर मुखाग्नि देकर अपना फर्ज निभाया.

Daughters Performed Last Rites
बेटियों ने पिता की अर्थी को दिया कंधा (ETV BHARAT Chittorgarh)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 23, 2024, 6:01 PM IST

पिता को बेटियों ने दी मुखाग्नि (ETV BHARAT Chittorgarh)

चित्तौड़गढ़. चित्तौड़गढ़ में गुरुवार को एक कारुणिक दृश्य देखने को मिला. यहां पारिवारिक विवाद की वजह से बेटा अपने पिता को कंधा देने से इनकार कर दिया तो वहीं, बेटियों ने न सिर्फ पिता की अर्थी को कंधा दिया, बल्कि मुखाग्नि देकर अपना फर्ज भी निभाया. दरअसल, यह कारुणिक दृश्य शहर की आशापुरा कॉलोनी में देखने को मिला, जहां सभी की आंखें नम थी.

असल में बुधवार शाम को 80 वर्षीय भोपाल सिंह पुत्र सोहन सिंह का उनके निवास पर निधन हो गया था, लेकिन किसी को इसकी खबर तक नहीं थी. वहीं, उनकी तीनों बेटियां बारी-बारी से उन्हें फोन कर संपर्क करने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन जब फोन नहीं उठा तो उन लोगों ने पड़ोसियों को इसके बारे में बताया. इस पर पड़ोसी घर पहुंचे और दरवाजा खटखटाया, लेकिन दरवाजा नहीं खुला. इस पर पड़ोसियों ने दरवाजा तोड़ दिया और जब वो अंदर कमरे में गए तो बुजुर्ग भोपाल सिंह मृत पड़े मिले. सूचना पर कोटा से उनका बेटा घर आया. उसके बाद शव को अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया.

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फिर उनकी बेटियों को इसकी सूचना दी गई. इस पर जोधपुर, कोटा और बांसवाड़ा से उनकी तीनों बेटियां चित्तौड़गढ़ पहुंची. गुरुवार को परिजनों की मौजूदगी में शव का पोस्टमार्टम कराया गया और फिर परिवार के लोगों को अंतिम संस्कार के लिए शव सौंप दिया गया. इधर, पोस्टमार्टम के दौरान ही भाई-बहनों के बीच विवाद हो गया. ऐसे में नाराज बेटा शव को वहीं छोड़कर वापस कोटा के लिए रवाना हो गया. बड़ी बहन चंद्रकला ने बताया कि उनका भाई पिता के शव को कोटा ले जाना चाहता था. जब तीनों ही बहनों ने इसका विरोध किया तो कथित रूप से अपने चचेरे भाई के साथ मारपीट पर उतारू हो गया. हालांकि, लोगों के बीच बचाव के बाद लड़ाई शांत हुई तो वो वापस कोटा के लिए रवाना हो गया.

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वहीं, पोस्टमार्टम के बाद तीनों बहन पिता के शव को लेकर घर आईं, जहां से पूरे रीति रिवाज से अंतिम यात्रा की तैयारी की गई और फिर पिता की अर्थी को तीनों बहनों ने कंधा दिया. रास्ते में बेटियों को रोते बिलखते देखकर आस पड़ोस के लोगों की भी आंखें भर आई. इधर, श्मशान पहुंचने के बाद तीनों बहनों ने संयुक्त रूप से पिता को मुखाग्नि दी. मृतक भोपाल सिंह मूल रूप से सुरजनियास साडास के रहने वाले थे. नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद से ही वो चित्तौड़गढ़ में रह रहे थे. बड़ी बेटी चंद्रकला ने बताया कि करीब 20 साल से भाई-बहनों में माता-पिता की सेवा को लेकर मन मुटाव चल रहा था. कोरोनाकाल में मां का निधन हो गया था. तब भी उनका भाई अर्थी देने के लिए नहीं आया था.

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