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शबाश शीतल: बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज; बुजुर्ग पिता का किया अंतिम संस्कार, अर्थी को कंधा देकर दी मुखाग्नि - Daughter burnt her father - DAUGHTER BURNT HER FATHER

अलीगढ़ में एक बेटी ने घर में कोई और सदस्य नहीं रहने पर बेटा का भी फर्ज निभाया. बेटी शीतल ने बुर्जुग पिता के बीमार रहने पर ना सिर्फ सेवा की बल्कि मृत्यु के बाद अर्थी को कंधा देने से लेकर मुखाग्नि भी दी.

समाज के लिए मिसाल बनी शीतल
समाज के लिए मिसाल बनी शीतल (PHOTO Source ETV BHARAT)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 25, 2024, 5:59 PM IST

शीतल ने पिता को दी मुखाग्नि (Video Source ETV BHARAT)

अलीगढ़: अलीगढ़ शहर के श्मशान घाट में मंगलवार को अलग ही नजारा दिख रहा था. जहां बुजुर्ग पिता की मृत्यु पर बेटी ने ना सिर्फ अर्थी को कंधा दिया बल्कि मुखाग्नि भी दी. बेटी शीतल ने घर में कोई सदस्य नहीं रहने के चलते बेटे का भी फर्ज निभाया. और समाज में एक मिशाल कायम किया कि, बेटी भी वह सभी कार्य कर सकती है जो सिर्फ बेटों के लिए रिजर्व माना गया है. शीतल के इस कदम में उसके रिश्तेदारों ने भी साथ दिया और उसको अंतिम संस्कार करने के लिए प्रेरित भी किया.

अलीगढ़ जिले के अशोक नगर निवासी बुर्जुग की मंगलवार को 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनके बेटे की पहले ही बीमारी से मृत्यु हो जाने के बाद घर सिर्फ एक बेटी बची थी. बेटी शीतल ने पिता की अर्थी को कंधा देकर मुखाग्नि दी. बेटी का कहना है कि, इस कार्य के लिए उसके परिजन और रिश्तेदारों ने बहुत संबल दिया, आत्म विश्वास दिया कि वह अपने फर्ज से पीछे न हटे. ऐसा ही समाज होना चाहिए जैसा कि उसका परिवार है.

श्मशान घाट पर अलीगढ़ के अशोकनगर की रहने वाली शीतल का कहना है कि उसके भाई की 2022 में मृत्यु हो गई थी. एक ही मात्र भाई था. उसके बाद पिता की तबीयत बहुत खराब रहने लगी. वह उनकी बहुत देखभाल कर रही थी, जितना उससे हो सका उनकी पूरी सेवा की. जिसने भी मेरे को इतनी सेवा करते हुए देखा, सब ने मुझे श्रवण कुमार नाम दिया, तो मुझे यही लगा की, ये अंतिम कार्य मुझे अपने हाथों से करना चाहिए और वो ऐसा ही चाहते थे.

एक बार पिता ने मुझसे ऐसा कहा भी था, अपनी इच्छा भी उन्होंने मुझे ऐसे ही बताई थी. मेरे भाई को ट्यूमर हो गया था 2022 में उसने दम तोड़ दिया. पिताजी की उम्र 72 वर्ष, बीमार हो गए थे. मैं यही कहूंगी हर लड़की के लिए कि माता-पिता तो लड़कों के भी होते हैं और लड़कियों के भी होते हैं. दोनों को भरपूर जिम्मेदारी उठानी चाहिए, जितनी वो उठा सकती हैं. किसी काम से पीछे नहीं हटना चाहिए. अपने माता-पिता की सारी इच्छाओं को पूरा करना चाहिए.

शीतल ने कहा कि, ये संदेश देना चाहती हूं मैं हर लड़की जो है अपने फर्ज को पूरा निभाए और समाज में कभी इस तरह का गैर बराबरी होना नहीं चाहिए. लड़का है या लड़की है और यहां पर मेरे को जितने भी मेरे सगे संबंधी है जितने मेरे परिवार के लोग हैं उन्होंने भी मुझको बहुत ज्यादा आत्मविश्वास दिया. इस बात के लिए और उन्होंने मुझे बहुत तसल्ली दी आत्मविश्वास दिया कि मैं अपने फर्ज से पीछे ना हटूं. ऐसा ही समाज होना चाहिए जैसा कि मेरा परिवार है.

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