मध्य प्रदेश

madhya pradesh

दमोह के गांव से गायब हुई सड़क, घुटने तक कीचड़ से निकलने को मजबूर ग्रामीण, 10 साल से इतंजार - Damoh Motehar Village No Road

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 29, 2024, 2:04 PM IST

दमोह के मेनवार ग्राम पंचायत के गांव मोटेहार की हालत खराब है. बरसात के मौमस में यहां लोग दशकों से कीचड़ भरे रास्तों से आवाजाही कर रहे हैं. प्रशासन ने इस गांव के लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है.

DAMOH MOTEHAR VILLAGE NO ROAD
ग्रामीण कीचड़ वाले रास्ते से निकले को मजबूर (ETV Bharat)

दमोह: जिले की बटियागढ़ तहसील के एक गांव में लोगों को बारिश के दौरान घुटनों तक पानी के बीच से होकर निकलना पड़ता है. गांव में एक दशक से यह समस्या व्याप्त है. अभी तक इस समस्या से ग्रामीणों को निजात नहीं मिली है. ग्रामीणों का कहना है कि नेता लोग बस वोटों के समय बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन उसके बाद उनका इस पर ध्यान नहीं जाता है. जिसके चलते ये समस्या जस की तस बनी हुई है.

मोटेहार गांव में नहीं है सड़क (ETV Bharat)

जिले से 4 विधायक होने के बावजूद समस्या जस-की-तस

जिले के कई ग्रामीण अंचलों के हाल बेहाल हैं. कहीं सड़क नहीं है, तो कहीं बिजली की समस्या है. जिले के चार विधायकों में से दो विधायक तो प्रदेश सरकार में मंत्री हैं. ब्लॉक के जिस गांव की बात की जा रही है उस क्षेत्र के विधायक तो ग्रामीण अंचल से ही आते हैं. वह कृषक भी हैं और इस विधानसभा से दूसरी बार विधायक बनने के बाद अब प्रदेश सरकार में पशुपालन मंत्री हैं. हम बात कर रहे हैं मंत्री लखन पटेल के विधानसभा क्षेत्र पथरिया के अंतर्गत आने वाले बटियागढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत मेनवार के ग्राम मोटेहार की.

गांव की सड़कें कीचड़ में तब्दील

बारसात के मौसम में ग्राम पंचायत मेनवार के गांवों की सड़कें कीचड़ और पानी के कारण नहर बन जाती हैं. यहां के लोगों को यदि किसी काम से बाहर जाना होता है, तो उन्हें घुटनों तक अपने पेंट को ऊपर करना पड़ता है. जूते और चप्पल हाथ में लेकर सामान को कंधे और सिर पर रखकर पैदल निकलना पड़ता है. यदि मरीज बीमार पड़ जाए तो उसे ट्रैक्टर से या फिर चारपाई पर रखकर चार लोग गांव के बाहर ले जाते हैं. यह हाल उस हकीकत को बयां कर रहा है, जहां पर देश चांद के दक्षिणी ध्रुव पर तो पहुंच गया है, लेकिन मंत्री और प्रशासन की नजरें संभावत: इस गांव तक नहीं पहुंची है.

10 साल से नहीं बनी सड़क

मेनवार पंचायत के मोटेहार गांव सड़क के मामले में निर्वासित (जो किसी राज्य या भू-भाग से निकाल दिया गया हो) है. गांव की कालीबाईबताती हैं कि "हमारे यहां 10 साल से सड़क नहीं है. सचिव व सरपंच से लेकर सबको पता है, लेकिन कोई कुछ नहीं करता है. घुटनों तक पानी और कीचड़ भरा रहता है. उसी में से निकलना पड़ता है. कोई बीमार पड़ जाए तो उसे चारपाई पर लेकर अस्पताल जाना पड़ता है. हम यही चाहते हैं कि यहां पर पक्की सड़क बन जाए. यह सड़क न बने तो कम से कम रोड चलने लायक तो हो ही जाएं."

सड़क ना होने के कारण पढ़ाई हो रही प्रभावित

कच्ची सड़क का यह टुकड़ा करीब 800 मीटर है. गांव में स्कूल नहीं है, इसलिए दूसरे गांव बच्चों को स्कूल जाना पड़ता है. छात्र रमादेवी बताती है कि "जब अधिक बारिश हो जाती है और सड़क पर कीचड़ और पानी हो जाता है तो हम लोग हफ्तों हफ्तों तक स्कूल नहीं जा पाते हैं. यदि कोई बीमार पड़ जाए फिर तो उसकी शामत ही आ जाती है. यदि गांव के चार लोग उसे अस्पताल न पहुंचाएं तो निश्चित उस व्यक्ति की मौत वहीं हो जाएगी."

यहां पढ़ें...

महिला व नवजात को छोड़ने आई एंबुलेंस कीचड़ में फंसी, ‌‌जननी एक्सप्रेस को धक्का देने कीचड़ में उतरी महिलाएं

मुरैना में सड़क के लिए ग्रामीणों के जतन, कीचड़ में बैठकर किया प्रदर्शन

बारिश के बाद होगा मुरमीकरण

गांव में महिला सरपंच हैं और उनके पति धर्मेंद्र लोधी सरपंच प्रतिनिधि हैं. वह बताते हैं कि, ''हम गांव में बारिश के बाद मुरमीकरण करा देंगे. जिसकी फाइल तैयार कर दी है. स्वीकृत होने के बाद जैसे ही बारिश खत्म होगी, तुरंत पूरे रोड पर मौरम डलवा देंगे, ताकि सड़क पर आवागमन सुगम हो सके.''

ABOUT THE AUTHOR

...view details