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यहां साक्षात विराजते हैं भगवान भोलेनाथ, शिवलिंग पर कुल्हाड़ी लगते ही निकला था खून, निशान आज भी मौजूद - Jharkhandi Mahadev - JHARKHANDI MAHADEV

JHARKHANDI MAHADEV IN GAYA: ऐसी मान्यता है कि गया के इस जगह पर साक्षात भगवान भोलेनाथ विराजते हैं. यहां शिवलिंग पर कुल्हाड़ी लगते ही खून का फव्वारा निकल पड़ा था. यह दृश्य देख रोने लगे थे. कई दिनों तक पूजा-पाठ और लेप लगाने के बाद खून रुका था और वो निशान आज भी मौजूद है. आगे पढे़ं पूरी खबर.

JHARKHANDI MAHADEV
गया में झारखंडी महादेव (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 29, 2024, 2:14 PM IST

गया में झारखंडी महादेव (ETV Bharat)

गया:बिहार के गया के बोधगया स्थित बसाढी गांव में झारखंडी महादेव का मंदिर है. झारखंडी महादेव का मंदिर काफी प्राचीन है. यहां दूर-दूर से भक्त भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग के दर्शन करने के लिए आते हैं. कई साधु संन्यासियों ने यहां साधना की है. झारखंडी महादेव का यह मंदिर आज काफी प्रसिद्ध है. गया ही नहीं बल्कि बिहार के कई जिलों और दूसरे राज्यों से भी शिव भक्त यहां अद्भुत शिवलिंग के दर्शन करने को आते हैं.

गया में है झारखंडी महादेव: यह एक अद्भुत शिवलिंग है. इस शिवलिंग की मान्यता जानते ही लोग आश्चर्य से भर उठते हैं. कभी एक भक्त हुआ करता था, जो गया के झारखंडी महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग की काफी सेवा करता था. हालांकि संतान सुख नहीं मिलने से निराश था. वह एक दिन इतना तनाव में आया, कि उसने गुस्से में आकर शिवलिंग पर ही कुल्हाड़ी चला दी. जिसके बाद वहां से खून का फव्वारा निकलने लगा.

शिवलिंग से निकला खून:भगवान भोलेनाथ के इस शिवलिंग पर लेप, शहद लगाया गया. इसके बाद शिवलिंग से खून बहना बंद हुआ. भक्तों के अनुसार भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग से खून की धारा बहना यह दर्शाता है, कि भगवान हमारे पास मौजूद हैं. चाहे वह किसी रूप में हो. कहा जाता है कि यहां जो सच्चे मन से मन्नत मांगते हैं, उस भक्त की मनोकामना पूरी होती है और वह कभी खाली हाथ नहीं जाता. यहां के बारे में कई चमत्कारी किस्से हैं, जो काफी दूर-दूर तक फैले हैं और यही वजह है कि शिवलिंग का दर्शन करने भक्त काफी दूर से आते हैं.

तीन निशान मौजूद: पुजारी बताते हैं कि आज भी शिवलिंग पर तीन गड्ढे मौजूद हैं. दो निशान भर चुके हैं, लेकिन एक निशान अब भी पूरी तरह से मौजूद है. आज भी उस बढई का वंश चल रहा है लेकिन भगवान की परीक्षा में विफल होने के कारण उसने शिवलिंग पर कुल्हाड़ी चलाई थी. जिसके कारण उसका वंश तो चल रहे है, लेकिन उनके बच्चे यहां दिव्यांग जन्म लेते हैं और कहीं न कहीं काफी परेशानी में वह परिवार रहता है.

भगवान भोलेनाथ की साक्षात प्रतिमा: यह शिवलिंग काफी विशेष है, क्योंकि इस शिवलिंग में भगवान भोले का स्वरूप विराजमान है. शिवलिंग के साथ भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा स्वरूप चमत्कारी है. शिवलिंग रूप के साथ भगवान भोलेनाथ की साक्षात प्रतिमा लोग इसलिए मानते हैं, क्योंकि यहां मांगी गई मन्नत निश्चित तौर पर पूरी हो जाती है. शिवलिंग के साथ भगवान महादेव की प्रतिमा को देख लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं. भगवान भोलेनाथ ने सिर पर चंद्रमा गले में नाग, रुद्राक्ष समेत अन्य चीजों को धारण कर रखा है. लोगों का कहना है, कि ऐसा अद्भुत शिवलिंग उन्होंने आज तक नहीं देखा है.

इस शिवलिंग के दर्शन से कष्टों से निवारण: बसाढी में स्थित इस शिवलिंग के दर्शन से भक्तों के कष्टों का निवारण हो जाता है, ऐसी भक्तों की गहरी आस्था है. यहां भक्त काफी संख्या में आते हैं और इस सावन के दिनों में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. यहां के लोग बताते हैं, कि सावन के दिनों में खासकर सोमवारी के अवसर पर यहां भक्त इतनी तादाद में आते हैं की भीड़ को संभालना मुश्किल हो जाता है. फिलहाल झारखंडी महादेव के नाम से विख्यात इस शिवलिंग की गाथा काफी है और काफी दूर तक फैली हुई है.

"नदी किनारे जहां शिवलिंग मिला था, वही किनारे पर शिवलिंग की स्थापना कर दी गई. इस तरह या शिवलिंग आपरूपी प्रकट हुआ था. वही, शिवलिंग आज भी खुले स्थान में है. भगवान भोलेनाथ ने सपने में आ कर कहा कि मुझे खुले में ही रहना पसंद है. मुझे यदि मंदिर बनाकर घेरोगे तो मैं यहां से चला जाऊंगा. इस तरह भक्तों को इस तरह के सपने आते रहते हैं, जिसके कारण आज तक शिवलिंग के ऊपर मंदिर नहीं बना."-अशोक कुमार पांडे, पुजारी

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