वाराणसी : 22 जुलाई से शुरू हुआ सावन का महापर्व अब धीरे-धीरे अपने समाप्ति की ओर बढ़ रहा है. आज चौथा सोमवार है. 5 सोमवार का यह सावन अति विशिष्ट माना गया है. यही वजह है कि भोलेनाथ की नगरी काशी में प्रतिदिन भक्तों की संख्या जबरदस्त देखने को मिल रही है. रविवार को भी भक्तों ने काशी विश्वनाथ मंदिर में लगातार दर्शन पूजन किया है. जिसकी वजह से रात 11:00 तक लगभग 2 लाख से ज्यादा भक्तों ने रविवार को ही दर्शन किया है. सोमवार सुबह मंगला आरती के साथ ही विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन का सिलसिला शुरू हो गया है और अभी भी जबरदस्त कतार के साथ भक्त अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
सरकार कांवड़ियों और भोले के भक्तों के लिए न केवल रेड काॅरपेट बिछाकर पुष्पवर्षा कर रही है, बल्कि उनकी सुविधा और सुगम दर्शन का पूरा ध्यान भी रख रही है. आज सावन माह का चौथा सोमवार है. पिछले सोमवार को 3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने श्रीकाशी विश्वनाथ के ज्योतिर्लिंग का दर्शन किया था. चौथे सोमवार पर भी लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. इसके साथ ही मंदिर ट्रस्ट की ओर से काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के रुद्राक्ष शृंगार की तैयारियां भी पूरी हो चुकी हैं. महादेव के भक्त बाबा के इस अलौकिक स्वरूप का दर्शन पाएंगे. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रावण माह के हर सोमवार को देवाधिदेव महादेव के अलग-अलग स्वरूप का शृंगार किया जा रहा है. इस वर्ष सावन में पांच सोमवार पड़ रहे हैं. बाबा हर सोमवार को अपने अलग-अलग स्वरूपों में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं.
औघड़दानी का सबसे प्रिय महीना श्रावण माह माना जाता है. श्रावण माह के सोमवार को बाबा के दर्शन का विशेष फल व पुण्य मिलता है. अब तक देवाधिदेव महादेव बाबा विश्वनाथ के तीन स्वरूपों में दर्शन पाकर भक्त निहाल हो चुके हैं. मदिर प्रशासन के मुताबिक, शिव भक्त सावन के चौथे सोमवार को बाबा के विशेष स्वरूप का दर्शन कर पाएंगे. चौथे सोमवार को देवाधिदेव महादेव का शृंगार रुद्राक्ष से किया जाएगा. इससे पहले श्रावण माह में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में पिछले तीन सोमवार को बाबा विश्वनाथ का अलग अलग ढंग से शृंगार हो चुका है. पहले सोमवार को चल प्रतिमा स्वरूप, दूसरे सोमवार को गौरी शंकर (शंकर-पार्वती) स्वरूप, तीसरे सोमवार को अर्धनारीश्वर स्वरूप में श्रृंगार हो चुका है. वहीं श्रावण के पांचवें व अंतिम सोमवार 19 अगस्त को बाबा का शंकर, पार्वती, गणेश शृंगार एवं श्रावण पूर्णिमा पर वार्षिक झूला शृंगार होगा.