रांची: सीपीआई माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने देश के कई इलाकों में गौरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा के मामले को दुखद बताया है. दीपांकर भट्टाचार्य ने इस तरह की हिंसा के मामले में स्वतः संज्ञान लेने का आग्रह सर्वोच्च न्यायालय से किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गौरक्षा को लेकर पूर्व में दिए एक बयान का जिक्र करते हुए दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि गौरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा और हत्या के मामले को आतंकवादी घटना मानकर कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि गौरक्षा के नाम पर बनी संस्थाओं को बैन कर देना चाहिए.
'मासस का माले में विलय से वामपंथी विचारधारा मजबूत होगी'
दीपांकर भट्टाचार्य ने मासस का माले में विलय को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इसका असर झारखंड और देश की राजनीति पर पड़ेगा. राज्य के उत्तरी छोटानागपुर और पलामू सहित कई जिलों में इंडिया ब्लॉक को मजबूती मिलेगी. दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि 25 और 26 सितंबर को मासस का माले में विलय के बाद एक बड़ी बैठक आयोजित होगी. जिसमें विधानसभा चुनाव की रणनीति बनेगी. दीपांकर भट्टाचार्या ने कहा कि सीपीएम सिर्फ इसलिए विरोध मासस का माले में विलय का विरोध कर रही है. क्योंकि यह विलय उनके दल के साथ नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सीपीआई माले वामदलों के व्यापक एकता का पक्षधर है.
सर्वसम्मति से हो वक्फ बोर्ड में कोई भी संशोधन
सीपीआई माले नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि वक्फ बोर्ड का मामला जेपीसी (JPC) में भेजा गया है और 13 सितंबर तक जेपीसी में सभी की राय मांगी है. माले के दोनों सांसदों ने अपनी राय लिखित में जेपीसी को सौंप दी है. उन्होंने कहा कि इस बिल के जरिये सरकार वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर कब्जा करना चाहती है. सच्चर कमेटी ने कहा था कि वक्फ बोर्ड में सुधार की जरूरत है. सभी पक्षों से बैठकर बात कर संशोधन होना चाहिए.