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अदालत ने सबूतों के अभाव में तीन आरोपियों को बरी किया, मुजफ्फरपुर कोर्ट ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा - Verdict in Muzaffarpur murder case

Acquitted Due To Lack Of Evidence:मुजफ्फरपुर में हत्या के मामले में 14 साल बाद फैसला आया है. अदालत ने हत्या के एक मामले में तीन आरोपियों को सबूतों के अभाव में मंगलवार को बरी कर दिया. यह जानकारी बचाव पक्ष के अधिवक्ता वरीय अधिवक्ता रामा शंकर सिंह ने दी. पुलिस में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार वर्ष 2010 में खबरा स्थित कुमार प्रवेश के घर में घुसकर घर के छह लोगों की हत्या कर दी गई थी. मुजफ्फरपुर कोर्ट ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 9, 2024, 10:55 PM IST

मुजफ्फरपुर:बिहार के मुजफ्फरपुर की अदालत ने हत्या के मामले में तीन आरोपियों को सबूतों के अभाव में मंगलवार को बरी कर दिया. यह जानकारी बचाव पक्ष के वरीय अधिवक्ता रामा शंकर सिंह ने दी. मुजफ्फरपुर के सदर थाना क्षेत्र के खबरा के रहने वाले विश्वविद्यालय कर्मी कुमार प्रवेश समेत 6 की हत्या 14 साल पहले 2010 में कर दी गई थी. उन्होंने बताया कि साक्ष्य और गवाह के अभाव में सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया गया.

हत्या मामले में सूबतों को अभाव में तीन आरोपी बरी:बचाव पक्ष के अधिवक्ता रामा शंकर सिंह ने कहा कि हमने अभियोजन पक्ष के दावों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसने एक भी गवाह या आरोपी के खिलाफ कोई भी सबूत पेश नहीं किया है.अदालत ने दलीलें सुनने के बाद आरोपियों को पर्याप्त सबूतों के अभाव में संदेह की स्थिति का लाभ देते हुए बरी कर दिया.

14 साल पहले 6 लोगों की हुई थी हत्या: बताया गया कि वर्ष 2010 में खबरा स्थित कुमार प्रवेश के घर में घुसकर उन्हे, उनके पुत्र, पत्नी और मां के साथ-साथ नौकर और बढ़ई मिस्त्री की गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई थी. तब इस घटना से शहर में सनसनी फैल गई थी. सामूहिक नरसंहार पर बवाल मचा था. इस मामले में पहले पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया था. बाद में छानबीन के क्रम में स्थानीय ग्रामीण अनिल ओझा ,पवन ओझा और रोशन ओझा को नामजद अभियुक्त बनाया गया था.

तीनों को मिली थी मौत की सजा:सुनवाई के दौरान निचली अदालत के द्वारा सजा ए मौत की सजा मिली थी. इसके बाद आरोपितों के द्वारा ऊपरी अदालत में न्याय के लिए दरवाजा खटखटाया गया था. उक्त मामले में सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष से किसी भी गवाह के उपस्थित नहीं होने के कारण एडीजे की अदालत ने साक्ष्य के अभाव और एक भी गवाह के उपस्थित नहीं होने के कारण सभी आरोपितों को बाइज्ज़त बरी कर दिया.

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