सोनीपत :हरियाणा की सोनीपत सीट पर कौन अपना परचम लहराएगा, ये अब से कुछ घंटों बाद साफ हो जाएगा. जाट लैंड कहे जाने वाले सोनीपत में इस बार मुकाबला कड़ा है. यहां बीजेपी से प्रत्याशी मोहन लाल बड़ौली और कांग्रेस से प्रत्याशी सतपाल ब्रह्मचारी के बीच मुख्य मुकाबला है.
सोनीपत की टक्कर में कौन ? :सोनीपत से कुल 22 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत इस बार आजमाई है. सोनीपत लोकसभा सीट की अगर बात करें तो इसे हरियाणा का जाटलैंड कहा जाता है. लेकिन बीजेपी ने यहां गैर जाट कार्ड खेलते हुए मोहन लाल बड़ौली को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस ने भी बीजेपी के गैर जाट कार्ड को देखते हुए यहां से गैर जाट सतपाल ब्रह्मचारी को टिकट दिया है. सतपाल ब्रह्मचारी धार्मिक संत भी हैं और हरिद्वार में उनका थानाराम आश्रम है.जींद में भी उनके आश्रम हैं. कांग्रेस को ब्राह्मण वोट के अलावा जाट वोट भी हासिल करने की आस है. वहीं जननायक जनता पार्टी (JJP) ने यहां से भूपेंद्र सिंह मलिक को मौका दिया है. जबकि इंडियन नेशनल लोकदल यानि इनेलो (INLD) ने अनूप सिंह को यहां से अपना प्रत्याशी बनाया है.
सोनीपत लोकसभा में वोटर्स की तादाद :सोनीपत लोकसभा में इस बार कुल 63.44 % वोटिंग दर्ज की गई है. सोनीपत में अगर मतदाताओं की बात करें तो यहां पर कुल 17,62,354 वोटर्स हैं. इनमें पुरुष वोटर्स की तादाद 9,41,372 है , जबकि 8,20,938 महिला मतदाता है. वहीं सोनीपत लोकसभा में 44 थर्ड जेंडर मतदाता भी हैं.
सोनीपत लोकसभा में 2 जिलों की 9 विधानसभा :सोनीपत लोकसभा सीट की अगर बात की जाए तो इसमें 2 जिलों की 9 विधानसभा सीटें आती है. इसमें जींद जिले की जुलाना, सफीदों और जींद विधानसभा सीटें शामिल है, जबकि सोनीपत विधानसभा की गनौर, राय, खरखौदा, सोनीपत, गोहाना और बड़ौदा विधानसभा सीटें आती हैं.
सोनीपत लोकसभा का जातिगत समीकरण :सोनीपत लोकसभा के जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां 6.10 लाख के करीब जाट वोटर हैं, वहीं रविदास समुदाय के 50 हजार और वाल्मीकि समुदाय के 65 हजार के करीब वोटर्स हैं। इसके साथ ही करीब 1.30 लाख पंजाबी और 2 लाख ब्राह्मण वोट हैं.
सोनीपत लोकसभा सीट का इतिहास:सोनीपत लोकसभा सीट के इतिहास की बात की जाए तो जाटलैंड नाम से मशहूर सोनीपत लोकसभा सीट रोहतक से अलग होने के बाद 1977 में अस्तित्व में आई थी. तब से अब तक इस सीट पर 12 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं, जिसमें यहां की जनता ने 4 बार बीजेपी और 3 बार कांग्रेस को विजयी बनाया है. हालांकि 1984 का चुनाव यहां से सबसे ज्यादा याद किया जाता है, जब यहां से दिग्गज चौधरी देवीलाल चुनावी मैदान में उतरे थे लेकिन कांग्रेस के नए चेहरे धर्मपाल मलिक ने उन्हें हराकर हरियाणा की राजनीति में तहलका मचा दिया था.