1 जुलाई से लागू हुए तीन नए कानूनों को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर तंज कसा है. पीसीसी चीफ ने कहा कि पुराने कानूनों का तो ये सरकार पालन करा नहीं पा रही थी. नए कानून आ जान से लोगों की मुसीबत और बढ़ेगी. रायपुर के कुछ वकीलों का भी कहना है कि नया कानून थोपा गया है.
यपुर के वकील बोले थोपा गया है कानून (ETV Bharat)
रायपुर:आज से लागू हुए नए कानूनों को लेकर पीसीसी चीफ दीपक बैज ने बीजेपी को निशाने पर लिया. बैज ने कहा कि पुराने कानूनों का पालन कराने में ये सरकार पूरी तरह से फेल रही है. नए कानून को ये लोग समझ ही नहीं पाएंगे. कांग्रेस ने कहा कि नया कानून लागू होने से लोगों की दिक्कतें और बढ़ेंगी. पीसीसी चीफ का कहना था कि अगर पुराने कानून में कुछ कमियां थी तो उसे दूर किया जाना चाहिए ना कि उसे खत्म कर नया कानून बनाना चाहिए.
''पुराने कानून का तो ये लोग पालन करा नहीं पाए'':मीडिया से बातचीत करते हुए दीपक बैज ने कहा कि ''ये सरकार कानून के मामले पर गंभीर नही है। यदि गंभीर रहती, तो आज इतने केस पेंडिंग नहीं होते, बल्कि कानून व्यवस्था पर मजबूत करने के लिए सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए.''
पुराने कानून का तो ये लोग पालन करा नहीं पाए (ETV Bharat)
''नए कानून से दिक्कतें आएंगी'': तीन नए आपराधिक कानून में बदलाव को लेकर ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट दिवाकर सिन्हा ने बताया कि ''इस बदलाव से कई तरह की व्यावहारिक दिक्कतें आएगी. न्याय व्यवस्था की गति भी धीमी होगी. साथ ही वकील, जज ,पुलिस सभी को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कुछ व्यवहारिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ेगा. इसे लागू करने के पहले वकील, न्यायविद सहित पुलिस से चर्चा करनी थी और उसके बाद लागू करना था, इसके अलावा जो कानून की पढ़ाई कर रहे हैं उन पर भी इस बदलाव का असर पड़ेगा. कुंल मिलाकर कहां जाए तो इस कानून को थोपा गया है.''
''कानून की परिभाषा नहीं बदली है, तीन नए कानून जिसमें नाम चेंज हुए हैं. उसमें एक भारतीय आवरण देने की कोशिश की गई है. जो इंग्लिश में आईपीसी, सीआरपीसी की धारा थी, उसको अब हिंदी में कर दिया, इंडिया की जगह भारत कर दिया गया. जो ज्यादा अंतर देखने को मिला है वह धाराओं में परिवर्तन किया गया है, जैसे जो 302 हत्या की धारा थी उसको उसे चेंज करके 103 कर दिए हैं और भी ऐसी बहुत सारे धाराओं को बदल गया है. इससे वकील जज और पुलिस तीनों के सामने तात्कालिक समस्या उत्पन्न हो गई है. अब उसे यह समझना होगा कि पहले इन अपराधों के लिए कौन सी धारा थी, और अब वर्तमान में अपराधों पर कौन सी धारा लागू होगी. धारा 2, 4,10 नहीं है बल्कि पहले 511 के आसपास धारा थी अब 358 के आसपास हुई है, यह एक समस्या उत्पन्न हो गई है. अब वही स्थिति हो गई कि जैसे मानो यह कहा जाए की 1 तारीख से आप आपसे से पहले जिसे चाचा बोलते थे उन्हें मामा बोलना है और जिसे मामा बोलते थे उन्हें फूफा बोलना पड़ेगा. यह व्यावहारिक दिक्कत सामने आएगी.'' - दिवाकर सिन्हा, सीनियर एडवोकेट, हाई कोर्ट, छत्तीसगढ़
बदल गए आज से तीन कानून: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम नामक तीन नए आपराधिक कानून 1 जुलाई, 2024 से लागू हो गए है. अब IPC का नाम बदल कर भारतीय न्याय संहिता (BNS) कर दिया गया है. इस नए कानून यानी BNS में 511 की जगह अब 358 धाराएं रह गई हैं. इसी तरह CRPC (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर) का नाम बदलकर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता कर दिया गया है. CRPC में 484 धाराएं थीं. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धारा की गई हैं. भारतीय साक्ष्य अधिनियम में अधिक बदलाव नहीं हुआ है, इसमें 170 सेक्शन हैं.