भरतपुर : महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय में लंबे समय से वित्तीय अनियमितता और धांधली के आरोप लग रहे हैं. इसको लेकर मुख्यमंत्री तक कई बार शिकायतें पहुंच चुकी हैं. इसके बाद विश्वविद्यालय में अनियमितता और धांधली की जांच के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति ने ही हाई पावर कमेटी गठित कर दी है. इसको लेकर अब जिले के वैर से विधायक बहादुर सिंह कोली, डीग-कुम्हेर से विधायक डॉ शैलेश सिंह और कामां से विधायक नौक्षम चौधरी ने आपत्ति जताई है. विधायकों का आरोप है कि कुलपति द्वारा गठित की गई कमेटी में उन्हीं के चहेते अधिकारियों को नियुक्त किया गया है, जिससे निष्पक्ष जांच हो पाना संभव नहीं है. ऐसे में तीनों विधायकों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को शिकायत भेजकर भ्रष्टाचार की जांच के लिए राज्य स्तरीय एसआईटी गठित करने और हाई पावर कमेटी को रद्द करने की मांग की है.
कुलपति पर आरोप : बॉम सदस्य एवं वैर विधायक बहादुर सिंह कोली ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि "कुलपति प्रो. रमेश चंद्र द्वारा उन पर लगे आरोपों को लेकर जांच के लिए जिस हाई पावर कमेटी का गठन किया है और जिन सदस्यों को जांच के लिए नियुक्त किया गया है, वो कुलपति प्रो. रमेश चंद्रा के ही चहेते और परिचित हैं. प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लाभार्थी हैं. पूर्व में भी कुलपति के खिलाफ और विश्वविद्यालय में वित्तीय अनियमितता और धांधली को लेकर शिकायतें हुई हैं. उन में भी कुलपति द्वारा अपने चुनिंदा लोगों को कमेटी में सदस्य बनाकर धांधली और अनियमितता संबंधी शिकायतों पर पर्दा डालने का कार्य किया गया. साथ ही कुलपति को निर्दोष घोषित कर दिया जाता है. साथ ही जांच कमेटियों और जांच रिपोर्ट पर कोई जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की जाती है".
इसे भी पढ़ें-Maharaja Surajmal Brij University : राज्यपाल को छात्रनेता ने सौंपा विवि में कथित अनियमितताओं का ज्ञापन, कलराज मिश्र ने दिया निष्पक्ष जांच का आश्वासन
पद से हटाने की मांग : बॉम सदस्य और डीग-कुम्हेर विधायक डॉ शैलेश सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि "कुलपति के विरुद्ध समस्त शिकायतों की राज्य सरकार द्वारा उच्च स्तरीय जांच का होना आवश्यक है. पिछले एक साल में राजकोष को लूटकर राज्य सरकार के निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. स्थानीय युवाओं को वरीयता न देकर अपने चहेतों को नियुक्ति दी जा रही है. लाखों विद्यार्थियों के फीस वृद्धि शुल्क के 33 करोड़ अब तक वापस नहीं किए गए हैं. आरोप लगाया कि भूतपूर्व सैनिकों के साथ अमानवीय व्यवहार और अभ्रद्र भाषा का प्रयोग करना, छात्र संगठनों और छात्र प्रतिनिधियों पर उनका करियर खराब करने की नियत से झूठे और मनगढ़ंत मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं. कुलपति के पद पर रहते हुए जांच का होना निष्पक्ष और न्यायसंगत होना संभव नहीं हैं. चूंकि राज्य सरकार विश्वविधालय में वित्त और प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़े हुए कार्यों और नियमों का नियंत्रण एवं निर्धारण करती है. कुलपति प्रो रमेश चंद्रा को जांच कमेटी की जांच रिपोर्ट तैयार होने तक पद व शक्तियों से हटाया जाए."
कामां विधायक नौक्षम चौधरी ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि विश्वविद्यालय परिसर के साथ ही क्षेत्र में जातीय वैमनस्यता, सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की शिकायतें लगातार देखने को मिल रही हैं. प्रवेश प्रक्रिया में भी धांधली सामने आ रही है. उन्होंने कुलपति के द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार, धांधली वित्तीय अनियमितता, संविदा शिक्षक भर्ती घोटाला आदि शिकायतों पर राज्य सरकार के निर्देशन में उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित करने और कुलपति को बर्खास्त करने की मांग की.