पटना: पटना के फुलवारीशरीफ स्थित पटना एम्सके कार्यकारी निदेशक सह सीईओ डॉ. गोपाल कृष्ण पाल के बेटे डॉक्टर ऑरो प्रकाश पाल के ओबीसी सर्टिफिकेट मामले में कथित गड़बड़ी की जांच शुरू हो गयी है. ओबीसी प्रमाण पत्र में खामियों की जांच के लिए पटना के डीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. जिसमें कल्याण अधिकारी और जिला लेखा अधिकारी भी शामिल हैं. पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि जांच समिति जल्दी अपनी रिपोर्ट सौंप देगी.
गोरखपुर एम्स में हुआ नामांकन: पटना से जारी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर डॉ. ऑरो प्रकाश को 30 अगस्त को गोरखपुर एम्स में माइक्रोबायोलॉजी में तीन वर्षीय स्नातकोत्तर एमडी पाठ्यक्रम में ओबीसी कैटेगरी के तहत नामांकन हुआ था. दरअसल, डॉ. ऑरोप्रकाश पाल को पटना से दो ओबीसी प्रमाणपत्र जारी किए गए. पहला 13 जनवरी को फुलवारीशरीफ ब्लॉक के राजस्व अधिकारी और दूसरा 27 अप्रैल को दानापुर के राजस्व अधिकारी ने जारी किया था.
पटना से ओबीसी सर्टिफिकेट जारी: कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) मंत्रालय के नियम के मुताबिक केंद्रीय और राज्य सेवाओं के ग्रुप वन के अधिकारियों ने बेटे और बेटियां क्रीमी लेयर के अंतर्गत आते हैं. बिहार और यूपी में ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण के लाभ के हकदार नहीं होते हैं. बावजूद इसके पटना एम्स के डायरेक्टर के बेटे का ओबीसी सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया.
"मामला सामने आने के बाद 10 सितंबर को डॉक्टर पाल ने सर्टिफिकेट रद्द करने का अनुरोध किया था. जिसके तुरंत बाद ओबीसी प्रमाण पत्र जारी करने में बरती गई अनियमितता की जांच शुरू की गई है."-चंद्रशेखर सिंह, जिलाधिकारी, पटना
डॉ ऑरो प्रकाश पाल ने दिया इस्तीफा:ओबीसी प्रमाण पत्र के आधार पर उनकी नियुक्ति की खबर आने के बाद डॉ ऑरो प्रकाश पाल ने 3 सितंबर को एचडी पाठ्यक्रम से इस्तीफा दे दिया है. डॉक्टर गोपाल कृष्ण पाल ने कहा कि उनके बेटे ने 3 लाख रु जुर्माना भरने के बाद इस्तीफा दे दिया और गोरखपुर एम्स भी छोड़ दिया है.
जाति प्रमाणपत्र भी संदेह के घेरे में:दरअसल, जाति प्रमाण पत्र आम तौर पर आवेदक के निवास स्थान से जारी किए जाते हैं. जबकि डॉक्टर पाल के बेटे का ओबीसी प्रमाण पत्र पटना से ही जारी कर दिया गया. जिसमें उनका पता पटना के दानापुर उपमंडल के खगौल ब्लॉक में एम्स आवासीय परिसर हैं. जबकि उनका स्थायी पता ओडिशा है.