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राजकीय सम्मान के साथ सिटी मोंटेसरी स्कूल के संस्थापक को किया गया दफन, इससे पहले परिजनों ने की प्रार्थना - बहाई कब्रिस्तान लखनऊ

सिटी मोंटेसरी स्कूल के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को अंतिम विदाई बुधवार को परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में बहाई रीति रिवाज से भैंसाकुंड स्थित बहाई कब्रिस्तान में दी गई. इसके पहले यूपी पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 24, 2024, 3:15 PM IST

लखनऊ : सिटी मोंटेसरी स्कूल (सीएमएस) के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को बुधवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ भैंसाकुंड स्थित बहाई कब्रिस्तान में दफन किया गया. इससे पहले डॉ. गांधी को यूपी पुलिस के द्वारा गॉड ऑफ ऑनर दिया. बता दें कि डॉ. जगदीश गांधी का 21 जनवरी की देर रात मेदांता हॉस्पिटल में 89 वर्ष की उम्र में मृत्यु हो गई थी. मंगलवार को को गोमतीनगर विस्तार स्थित सीएमएस सेकंड कैंपस में उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था. जहां पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए थे.

राजकीय सम्मान और बहाई रीति रिवाज से डॉ. जगदीश गांधी को दी गई अंतिम विदाई.

परिवार के ही लोग अंतिम संस्कार में हुए शामिलःअंतिम संस्कार के समय परिवार के लोगों ने उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना सभा आयोजित की गई. डाॅ. गांधी को सुबह 10:00 बजे के करीब बहाई धर्म के अनुसार दफन किया गया. इस अवसर पर उनके चारों बच्चे, दामाद, नाती-पोते और परिवार के करीबी लोग ही अंतिम क्रिया के कार्यक्रम में उपस्थित थे. परिवार की तरफ से डॉ. गांधी के अंतिम क्रिया को बहुत ही साधारण और सीमित रखा गया था.

डॉ. जगदीश गांधी को पुलिस ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर.

डॉ. जगदीश ने अपना लिया था बहाई धर्मःबताते हैं कि डॉ. जगदीश गांधी ने 1960 के दशक में बहाई धर्म अपना लिया था. बहाई धर्म में अंतिम संस्कार के रीति रिवाज काफी साधारण हैं. इसमें परिवार की व्यक्तिगत प्राथमिकताओं को समायोजित करने का विधान है. सामान्य तौर पर सरल और लचीलेपन को काफी विशेषता दी गई है. रीति रिवाज काफी हद तक चेतना और आत्मा के संबंध में विश्वास की शिक्षा पर आधारित है. इस धर्म के अनुसार मृत व्यक्ति की अंतिम क्रिया उसके मृत्यु के स्थान से केवल एक घंटे की ज्यादा दूरी पर नहीं किया जाता है. मान्यता के अनुसार पार्थिव शरीर को कफन में लपेटकर एक शिलालेख और एक अंगूठी के साथ दफनाया जाता है. जिसमें अंगूठी पर उनके धर्म से जुड़ी हुई मान्यता दर्ज होती है.

डॉ. जगदीश गांधी को दी गई अंतिम विदाई.

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