लखनऊ :प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को एक कार्यक्रम के दौरान समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि आज प्रदेश के कुछ जिलों में आदमखोर भेड़ियों ने आतंक फैलाया हुआ है. 2017 के पहले भी यही स्थिति थी. इन लोगों ने भी ऐसे ही वसूली से तबाही मचाई हुई थी. इनके साथ महाभारत के सारे किरदार थे. चाचा-भतीजा सब वसूली पर निकल जाते थे. योगी ने कहा कि 2017 के पहले जो लोग प्रदेश में लूटखसोट मचाते थे, आज उनके सपनों पर पानी फिर चुका है. अब टीपू भी चले हैं सुल्तान बनने. सपना देख रहे हैं मुंगेरीलाल के हसीन सपने वाला. योगी ने कहा कि बुलडोजर पर हर एक आदमी के हाथ नहीं फिट हो सकते. इसके लिए दिल और दिमाग दोनों चाहिए. बुलडोजर जैसी क्षमता और दृढ़ प्रतिज्ञा जिसमें हो, वही बुलडोजर चला सकता है. वहीं प्रयागराज में कहा कि बुलडोजर चलाने के लिए कलेजा चाहिए. जबकि अखिलेश ने इस बयान पर कहा कि बुलडोजर दिमाग से नहीं, स्टेयरिंग से चलता है. वहीं एक्स पर ट्वीट किया कि सीएम योगी अलग पार्टी बनाकर चुनाव चिन्ह बुलडोजर रख लें.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा चयनित 1334 युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरित करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर उन्होंने कहा 'आज यह लोग फिर से नए रंग-रोगन लगाकर आना चाहते हैं. बुलडोज़र पर सबके हाथ नहीं फिट हो सकते. क्षमता होनी चाहिए बुलडोज़र चलाने के लिए.' गौरतलब है कि मंगलवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बैठक में कहा था '2027 में सपा की सरकार बनते ही बुलडोजरों का रुख गोरखपुर की ओर होगा.' मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अखिलेश यादव के इस बयान का ही जवाब दे रहे थे.
वसूली के लिए चाचा-भतीजे में लगती थी होड़ :योगी ने कहा कि अब से पहले लोगों को नियुक्ति पत्र क्यों नहीं मिलते थे, क्योंकि नीयत साफ नहीं थी. चाचा और भतीजे में होड़ लगती थी वसूली के लिए. कौन कितना वसूल कर ले. एरिया बंटे हुए थे. मैं देख रहा हूं कि इस समय कुछ आदमखोर भेड़िए अलग-अलग जिलों में उत्पात मचा रहे हैं. 2017 के पहले कमोबेश यही स्थिति प्रदेश की थी. यह लोग उस समय कितनी तबाही मचाए हुए थे, यह किसी से छिपा हुआ नहीं है. इनके भी वसूली के एरिया बंटे हुए थे. कहीं चाचा तो कहीं भतीजे, महाभारत के सारे रिश्ते थे. महाभारत का दूसरा दृश्य यहां देखने को मिलता था. मैं तो एक ही बात आपसे कहूंगा, यह जो लोग बोलते हैं, इन्हें अवसर दिया गया था और जब उन्होंने नहीं किया तो इन पर अब विश्वास करने की आवश्यकता नहीं है. यह लोग बोलते रहेंगे, क्योंकि अब इनके पास बोलने के सिवाय कुछ भी नहीं बचा है.
टीपू भी चले हैं सुल्तान बनने :मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जनता इनकी गुंडागर्दी देख चुकी है. इनकी अराजकता देख चुकी है. 2017 के पहले जो लोग लूट घसोट मचाए थे, आज जब उनके सपनों पर पानी फिर चुका है तो अब टीपू भी चले हैं सुल्तान बनने. सपना देख रहे हैं. वैसे भी इन लोगों को सपने ही दिखाई देते हैं. यह इनकी आदत रही है. जब जनता ने इन्हें अवसर दिया था, तब इन्होंने लोगों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने से कोई परहेज नहीं किया. आज यह लोग नए रंग-रूप में जनता को गुमराह करने के लिए फिर से आना चाहते हैं. बुलडोजर पर हर एक आदमी के हाथ नहीं फिट हो सकते. इसके लिए दिल और दिमाग दोनों चाहिए. बुलडोजर जैसी क्षमता और दृढ़ प्रतिज्ञा जिसमें हो, वही बुलडोजर चला सकता है. दंगाइयों के सामने नाक रगड़ने वाले लोग बुलडोजर के सामने वैसे ही पस्त हो जाएंगे.
अखिलेश का योगी पर निशाना, कहा-बुलडोजर दिमाग से नहीं, स्टेयरिंग से चलता है
लखनऊ: इस क्रम में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सीएम योगी पर निशाना साधा है. शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर दर्जनों शिक्षकों को सम्मानित करने के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने सीएम योगी के बयान कि बुलडोजर चलाने के लिए दिल व दिमाग होना चाहिए, पर कहा कि बुलडोजर के पास दिमाग नहीं होता है. बुलडोजर स्टेयरिंग से चलता है.उत्तर प्रदेश की जनता या दिल्ली वाले कब किसका स्टेरिंग बदल दें.
कहा कि बुलडोजर गैर संवैधानिक है, जिनके लिए बुलडोजर नाइंसाफी का प्रतीक है, मैं उन्हीं को बुलडोजर की बधाई देना चाहता हूं , क्या सीएम आवास का नक्शा पास है. अगर नक्शा पास न होने की बुनियाद पर ही बुलडोजर चलाना है तो सीएम आवास का नक्शा भी दिखना चाहिए. कहा कि एलडीए की कई ऐसी बिल्डिंग हैं, जिसका नक्शा नहीं पास है. एलडीए उन बिल्डिंगों पर बुलडोजर क्यों नहीं चल रहा है. कहा कि 2027 में अगर मेरी सरकार आएगी तो बुलडोजर का रुख गोरखपुर की तरफ होगा.
अखिलेश की सीएम योगी को सलाह, अलग पार्टी बनाकर बुलडोजर चुनाव चिन्ह कर लें :अखिलेश यादव ने X पर लिखा कि 'अगर आप और आपका बुलडोजर इतना ही सफल है तो अलग पार्टी बनाकर ‘बुलडोजर’ चुनाव चिन्ह लेकर चुनाव लड़ जाइए. आपका भ्रम भी टूट जाएगा और घमंड भी. वैसे भी आपके जो हालात हैं, उसमें आप भाजपा में होते हुए भी ‘नहीं’ के बराबर ही हैं, अलग पार्टी तो आपको आज नहीं तो कल बनानी ही पड़ेगी.'