प्रयागराज: इस महाकुंभ में जहां लोग पुण्य का भागी बनने आस्था की डुबकी लगाने आते है, वहीं कभी जिन हाथों से गुनाह हुआ था, आज उन्हीं हाथों से भगवान की मूर्तियां बना रहे है. सजा काट रही महिला बंदी भी स्वादिष्ट अचार तैयार कर रही हैं. इसमें कई सजायाफ्ता हैं तो कुछ ऐसे हैं, जिन पर किसी न किसी अपराध का आरोप है. ये अब उस कार्य को करने पर बल दे रहे हैं, जिसमें उन्हें संतुष्टि मिलती है.
जेल के बंदियों ने बनाये कई प्रोडक्ट: उनकी इस मेहनत का लाभ समाज के साथ ही उनके घरवालों को भी मलता है. लंबे समय से ऊंची दीवारों के भीतर सुरक्षा पाबंदियों के बीच जीवन व्यतीत कर रहे बंदियों में सकारात्मक सुधार लाने के लिए कारागार प्रशासन ने तमाम प्रयास किए. जहां लोग अलग-अलग जेल में बंदियों द्वारा निर्मित किए गए गुणवत्तायुक्त सामान को खरीदकर अपने घर ले जा रहे हैं. इसके साथ ही कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा द्वारा बंदियों, में छिपी कलाकारी को उभारने की सराहना भी मिल रही है. महाकुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर एक, परेड क्षेत्र त्रिवेणी रोड पर स्थित प्रदर्शनी व विक्रय केंद्र में प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं.
कारागर प्रशासन एवं सुधार सेवाएं की ओर से महाकुंभ से प्रदर्शनी व बिक्री केंद्र बनाया गया है. यहां प्रदेश के 27 से ज्यादा जेलों में बंदियों द्वारा निर्मित गुणवतायुक्त सामान की बिक्री हो रही है. कारागार प्रशासन के प्रयास से समाज के लगभग सभी वर्ग को इसका लाभ मिल रहा है. प्रदर्शनी की व्यवस्था में लगे अधिकारियों का दावा है कि उनके कारागार में बंदियों द्वारा निर्मित उत्पाद बाजार से सस्ते और अच्छे हैं. यहां 300 रुपये में जूता से लेकर 100 रुपये में रसोई का सामान मिल रहा है.
बिक रहे गेंहू की बाली से बने हनुमानजी: इसमें खाने का सामान, घरेलू सामान, बच्चों का सामान, सफाई का सामान, पूजन सामग्री, धागा और मिट्टी से निर्मित अलग-अलग सामान बिक रहा है. प्रदेश के विभिन्न जेलों में बंदियों द्वारा निर्मित 100 से ज्यादा सामान रखा गया है. अलग-अलग जेल में निर्मित उत्पाद की विशेषता है. यहां नैनी व बरेली सेंट्रल जेल का फर्नीचर, झांसी का टेडी बियर, भदोही की कालीन, मैनपुरी का सजावटी सामान, अलीगढ़ का शंख, वाराणसी का शिवलिंग, गाजियाबाद की मोमबत्ती, कन्नौज की धूपबत्ती काफी अलग है. प्रतापगढ़ के आंवले का अचार, मैनपुरी की 12 हजार की पेंटिंग, रामपुर का सूट, आगरा की साड़ी, मुजफ्फर नगर का बैग, फतेहपुर का झोला, आगरा के जूते, गेंहू की बाली से बने हनुमानजी, बिक रहे है.
कारागर प्रशासन एवं सुधार सेवाएं की ओर से महाकुंभ से प्रदर्शनी व बिक्री केंद्र बनाया गया है. यहां प्रदेश के 27से ज्यादा जेलों में बंदियों द्वारा निर्मित गुणवतायुक्त सामान की बिक्री हो रही है. कारागार प्रशासन के प्रयास से समाज के लगभग सभी वर्ग के लोगों को इसका लाभ मिल रहा है.
प्रदर्शनी की व्यवस्था में लगे अधिकारियों का दावा है कि उनके कारागार में बंदियों द्वारा निर्मित उत्पाद बाजार से सस्ते और अच्छे हैं. यहां 300 रुपये में जूता से लेकर 100 रुपये में रसोई का सामान मिल रहा है. खाने का सामान, घरेलू सामान, बच्चों का सामान, सफाई का सामान, पूजन सामग्री, धागा और मिट्टी से निर्मित अलग-अलग सामान बिक रहा है. प्रदेश के विभिन्न जेलों में बंदियों द्वारा निर्मित 100 ज्यादा सामान रखा गया है. अलग-अलग जेल में निर्मित उत्पाद की विशेषता है. यहां नैनी व बरेली सेंट्रल जेल का फर्नीचर, झांसी का टेडी बियर, भदोही की कालीन, मैनपुरी का सजावटी सामान, अलीगढ़ का शंख, वाराणसी का शिवलिंग, गाजियाबाद की मोमबत्ती, कन्नौज की धूपबत्ती काफी अलग है. प्रतापगढ़ के आंवले का अचार, मैनपुरी की 12 हजार की पेंटिंग, रामपुर का सूट, आगरा की साड़ी,मुजफ्फर नगर का बैग, फतेहपुर का झोला, आगरा के जूते, गेंहू की बाली से बने हनुमानजी, बिक रहे है.
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