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'ज्ञानवापी ही विश्वनाथ धाम है, इसे मस्जिद कहना दुर्भाग्यपूर्ण'; सीएम योगी का गोरखपुर में बड़ा बयान - CM Yogi Statement on Gyanvapi

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 14, 2024, 2:12 PM IST

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये बयान पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और हिंदी भाषा संस्थान द्वारा आयोजित, "सामाजिक समरसता में नाथ पंथ के अवदान विषय" की राष्ट्र संगोष्ठी को संबोधित करते हुए दिया.

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गोरखपुर में कार्यक्रम को संबोधित करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (Photo Credit; ETV Bharat)

गोरखपुर: समाज में नाथ पंथ के अवदान विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के मंच से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर ज्ञानवापी पर बड़ा बयान दिया है. हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि "ज्ञानवापी ही विश्वनाथ धाम है, इसे मस्जिद कहना दुर्भाग्यपूर्ण है". भौतिकता ही एकता-अखंडता की बाधा है. हिंदी देश को जोड़ने की एक वैधानिक भाषा है.

गोरखपुर में कार्यक्रम को संबोधित करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (Video Credit; ETV Bharat)

सीएम योगी ने कहा कि बहुसंख्यक आबादी जिसे जानती, पहचानती और समझती है, वही राजभाषा हिंदी है. इसकी मूल वाणी देव संस्कृत से है. जब हम भाषा का अध्ययन करते हैं तो दुनिया में जितनी भी भाषण और बोलियां हैं, उनका कहीं न कहीं स्रोत देव वाणी संस्कृत में मिलता है.

इस दौरान योगी ने केरल में जन्मे एक संन्यासी आदि शंकर की चर्चा करते हुए कहा कि देश के चार कोनों में उन्होंने चार पीठों की स्थापना की है. आचार्य शंकर जब अपने अद्वैत ज्ञान से संपूर्ण होकर आगे की साधना के लिए काशी आए, तब साक्षात भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा ली थी जो उन्हें चांडाल रूप में दिखाई दिए थे.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और हिंदी भाषा संस्थान द्वारा आयोजित, "सामाजिक समरसता में नाथ पंथ के अवदान विषय" की राष्ट्र संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करने आए थे. जहां उन्होंने ज्ञानवापी और विश्वनाथ धाम पर बयान देकर एक बार फिर अपनी मनसा जाहिर कर दी. उन्होंने कहा कि हमारे भाव और भाषण स्वयं के नहीं है तो इससे हमारे प्रगति बाधित होगी. विकास में रुकावट होगी.

आज के दौर में मेडिकल, इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम हिंदी में दिखाई देता है. भारत की शक्ति हिंदी के मामले में इतनी बढ़ चुकी है कि अब कोई विदेशी राजनयिक भारत आता है तो वह खुद हिंदी में, प्रधानमंत्री और भारतीय राजदूतों के साथ संवाद स्थापित करना चाहता है. यह हिंदी की ताकत है. उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषा और बोली को महत्व देने से समाज को ताकत मिलती है और यह अब रोजगार का भी बड़ा माध्यम बन रहा है.

उन्होंने इसकी चर्चा रामचरितमानस के माध्यम से भी लोगों के बीच की और कहा कि तुलसीदास ने समाज के कल्याण के लिए जो यह ग्रंथ लिखा वह आज किस प्रकार समाज के लिए उपयोगी बन रहा है, यह लोगों से छिपा नहीं है. कथावाचक से लेकर लोगों के घरों तक में यह ग्रंथ पढ़ा जाता है.

इस दौरान उन्होंने कहा कि नाथ पंथ के तैयार किया जा रहे एनसाइक्लोपीडिया में उन विषयों, साहित्य और भाव का भी समावेश करने का प्रयास होना चाहिए, जो दुनिया के कई देशों में फैला पड़ा है. इस दौरान योगी ने कहा कि पद्मावत में मलिक मोहम्मद जायसी भी गोरखनाथ जी के बारे में कहते हैं कि "बिन गुरु पंथ ने पाइए, भूलै से जो भेंट, जोगी सिद्ध होई तब जब गोरख सौं भेंट". यही नहीं कबीर दास ने भी गोरखनाथ की योग पद्धति के बारे में बहुत बातें कही हैं.

गुरु गोरखनाथ का साहित्य विशाल है. इस पर शोध और कार्यक्रम को हमें और आगे बढ़ाना चाहिए. गुरु गोरखनाथ ने नियमित और संयमित जीवन जीने का जहां लोगों को मार्ग दिखाया है, वहीं विदेशी हमले से भी लोगों को एकजुट करने का उनका जो प्रयास रहा है, उसकी भी चर्चा और उदाहरण विभिन्न पुस्तकों में मिल जाएगी. गोरखनाथ सिर्फ एक संत नहीं उन्होंने समाज को जोड़ने और आगे बढ़ाने के भी कई आयाम सुझाए हैं. हठयोग उनकी एक ऐसी साधना है जिसके माध्यम से मानव जीवन स्वस्थ और सफल मार्ग की ओर आगे बढ़ता है.

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