गोरखपुर: समस्याएं सिर पर हों तो कड़ाके की ठंड की भी इंसान परवाह नहीं करता. कुछ ऐसा ही नजारा सोमवार को गोरखनाथ मंदिर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दर्शन में देखने को मिला, जहां बीमारी में इलाज के लिए पैसों के अभाव को लेकर तमाम ऐसे फरियादी पहुंचे थे, जिनके घर वालों का इलाज नहीं हो पा रहा था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार सुबह ऐसे लोगों से गोरखनाथ मंदिर में मुलाकात की. उनकी समस्याएं सुनीं.
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे जनता की समस्याओं पर पूरी गंभीरता और संवेदनशीलता से ध्यान देकर सुनें. किसी को भी परेशान न होना पड़े. जिन्हें इलाज में सरकार से आर्थिक सहायता की आवश्यकता है तो उनके अस्पताल की एस्टीमेट की प्रक्रिया को शीघ्रता से पूर्ण कराकर शासन को उपलब्ध कराया जाए. इस दौरान एक महिला को सीएम योगी ने कहा, पीजीआई लखनऊ से एस्टीमेट मंगवा लीजिए, इलाज का पैसा सरकार देगी.
गोरखनाथ मंदिर सीएम मीडिया सेल से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार सुबह गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ सभागार में आयोजित जनता दर्शन में करीब 100 लोगों से मुलाकात की. एक-एक करके उनकी समस्याएं सुनीं और निस्तारण के लिए आश्वस्त करते हुए उनके प्रार्थना पत्र संबंधित अधिकारियों को हस्तगत किए. सभी लोगों को आश्वस्त किया कि उनके रहते किसी को भी चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है.
इस दौरान सीएम योगी ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि हर पीड़ित के साथ संवेदनशील रवैया अपनाया जाए और उसकी समस्या का समाधान कर उसे संतुष्ट किया जाए. इसमें किसी भी तरह की कोताही नहीं होनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कहीं कोई जमीन कब्जा या दबंगई कर रहा हो तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए. हर पीड़ित की समस्या का निस्तारण निष्पक्ष रूप से उसकी संतुष्टि के अनुरूप किया जाना सुनिश्चित होना चाहिए.
सीएम योगी ने सभी को भरोसा दिया कि उनकी सरकार किसी भी जरूरतमंद के इलाज में धन की कमी को बाधक नहीं बनने देगी. विवेकाधीन कोष से मदद की जाएगी. इस दौरान एक अन्य महिला ने अपने परिजन का इलाज बीआरडी मेडिकल कॉलेज में होने का जिक्र कर मदद मांगी तो सीएम ने इसके लिए पास में मौजूद अफसरों को जरूरी निर्देश दिए.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में आयुर्वेद, योग और नाथपंथ के पारस्परिक अंतरसंबंधों को समझने के लिए, आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन विशेष व्याख्यान में कहा कि कहा है कि भारतीय मनीषा मानते हैं कि ‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्', अर्थात धर्म की साधना के लिए शरीर ही माध्यम है. धर्म के सभी साधन स्वस्थ शरीर से ही संभव हो सकते हैं. धर्मपरक जीवन से ही अर्थ, कामनाओं की सिद्धि और फिर मोक्ष प्राप्ति संभव है. इस परिप्रेक्ष्य में धर्म साधना से जुड़े जीवन को लेकर आयुर्वेद, योग और नाथपंथ की मान्यता के समान है.
आयुर्वेद, योग और नाथपंथ सबका ध्यान नियम-संयम पर:मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय मनीषा में हर व्यक्ति के जीवन का एक अभीष्ट होता है, धर्म के पथ पर चलते हुए मोक्ष की प्राप्ति संभव है. धर्म की साधना के लिए स्वस्थ शरीर की आवश्यकता हमारे ऋषियों, मुनियों ने बताई है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेद, योग और नाथपंथ, तीनों नियम-संयम पर जोर देते हैं.