शिमला:हिमाचल प्रदेश की आर्थिक सेहत सुधारने की दिशा में प्रदेश सरकार एक के बाद एक सख्त फैसले ले रही है. सरकारी खजाने पर ज्यादा बोझ न पड़े और प्रदेश में विकास को गति देने के लिए सरकार आईएएस-आईपीएस को लेकर बड़ा फैसला लेने से भी पीछे नहीं हट रही है. इसी के चलते अब सरकार ने नए आईएएस-आईपीएस न लेने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र के नए आईएएस-आईपीएस लेने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. यानी प्रदेश में वेतन देने से सरकारी खजाने पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को कम करने के लिए सरकार ने नए आईएएस-आईपीएस लेने से इंकार कर दिया है.
पूर्व में भाजपा ने भी लिया था ये फैसला
हिमाचल प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के रहते हुए भी भाजपा सरकार ने इस तरह का फैसला लिया था. जिसका ब्यूरोक्रेसी ने विरोध किया था. ऐसे में भारी दबाव में ये फैसला सिरे नहीं चढ़ सका था. दरअसल, केंद्र सरकार का कार्मिक विभाग हर साल राज्यों से जरूरत के अनुसार आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की डिमांड मांगता है. जिसके बाद हर राज्य को डिमांड के मुताबिक केंद्र से उतनी संख्या में नए आईएएस और आईपीएस भेजे जाते हैं. इसी तरह हिमाचल में भी नए आईएएस-आईपीएस भेजे जाने को लेकर केंद्र ने प्रस्ताव भेजा था, लेकिन मुख्यमंत्री ने केंद्र के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. आईएएस-आईपीएस अधिकारियों की डिमांड से संबंधित ये फाइल मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रद्द कर दी है और नए अधिकारियों को हिमाचल प्रदेश में लाने से मना कर दिया है.