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हरिद्वार में अखिल भारतीया गोष्ठी में सीएम धामी ने की शिरकत, कहा- आम बोलचाल की भाषा बनेगी संस्कृत - Sanskrit Bharati in Haridwar

Sanskrit Bharati in Haridwar, Sanskrit Akhil Bhartiya Goshthi हरिद्वार में संस्कृत भारती की से 'अखिल भारतीया गोष्ठी' आयोजित किया जा रहा है. जिसका शुभारंभ सीएम पुष्कर धामी ने किया. जिसमें सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड में हिंदी के साथ संस्कृत में सरकारी कार्यालयों के नाम लिखे जा रहे हैं. जल्द ही संस्कृत आम बोलचाल की भाषा बनेगी.

Sanskrit Akhil Bhartiya Goshthi
हरिद्वार में आयोजित अखिल भारतीया गोष्ठी (फोटो- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 15, 2024, 2:04 PM IST

Updated : Sep 15, 2024, 3:47 PM IST

हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार में संस्कृत भारती की ओर से आयोजित तीन दिवसीय 'अखिल भारतीया गोष्ठी' का सीएम पुष्कर धामी ने शुभारंभ किया. संस्कृत भारती के तत्वाधान में आयोजित इस संगोष्ठी का उद्देश्य संस्कृत भारती संस्कृत को एक बोलचाल की भाषा के रूप में पुनर्जीवित और प्रोत्साहित करना है. इस मौके पर सीएम धामी ने कहा कि संस्कृत उत्तराखंड की द्वितीय राजभाषा है. संस्कृत भाषा अन्य भाषाओं की तरह केवल अभिव्यक्ति का साधन मात्र नहीं है. बल्कि, यह मनुष्य के संपूर्ण विकास की कुंजी है.

हरिद्वार में अखिल भारतीया गोष्ठी (वीडियो- ETV Bharat)

हिंदी के साथ संस्कृत में लिखे जा रहे सरकारी कार्यालयों के नाम: हरिद्वार के वेदव्यास मंदिर आश्रम में आयोजित तीन दिवसीय अखिल भारतीया गोष्ठी में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि संस्कृत को जन-जन की भाषा बनाई जाए. उत्तराखंड के सभी सरकारी कार्यालय के नाम हिंदी के साथ संस्कृत में भी लिखने का काम तेजी से किया जा रहा है. उन्होंने इस भाषा को प्रारंभिक स्तर के लोगों के लिए सरल बनाए जाने की अपील भी की. उन्होंने कहा की संस्कृत भारती का यह प्रयास संस्कृत का पुनरुत्थान करने और भाषा के माध्यम से वैश्विक समुदायों को जोड़ने का कार्य निरंतर जारी रखे हुए हैं.

वहीं, सीएम धामी ने कहा कि देववाणी संस्कृत उत्तराखंड की द्वितीय राजभाषा है. संस्कृत भाषा मनुष्य के संपूर्ण विकास की कुंजी है. मानव इतिहास के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद को भी संस्कृत में लिखा गया था. उसके बाद संस्कृत भाषा साहित्य के अन्य क्षेत्रों में भी वृहद स्तर पर अभिव्यक्ति का साधन बनी है. संस्कृत भाषा को आम बोलचाल की भाषा बनाने के लिए संस्कृत भारती की ओर से सराहनीय काम किए जा रहे हैं. उम्मीद है कि यह प्रयास भविष्य में जन आंदोलन बनकर उभरेगा. एक दिन संस्कृत आमजन की भाषा बनेगी.

संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा में पुनर्जीवित करने पर काम कर रहा संस्कृत भारती:बता दें कि साल 1981 में स्थापित संस्कृत भारती संस्कृत को एक बोलचाल की भाषा के रूप में पुनर्जीवित और प्रोत्साहित करने में अग्रणी रही है. संस्कृत को जन-जन की भाषा बनाने की मकसद से इस संगठन ने अपने कई कार्यक्रमों के माध्यम से लाखों लोगों तक पहुंच बनाई है. संस्कृत भारती दुनियाभर में 10 दिवसीय संस्कृत संवाद शिविर आयोजित करती है, जिससे इस भाषा को प्रारंभिक स्तर के लोगों के लिए सरल बनाया जाता है.

स्थापित किए जा चुके 10 हजार से ज्यादा 'संस्कृत गृह', संस्कृत में ही संवाद करते हैं लोग: इसके अलावा यह पत्राचार, पाठ्यक्रम, शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम, गीता शिक्षण केंद्र, बच्चों के लिए बालकेंद्र के साथ ही पत्रिका संभाषण संदेश का प्रकाशन भी करती है. अब तक इस संगठन ने 26 देशों में 4,500 केंद्रों के माध्यम से 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को संस्कृत भाषा का प्रशिक्षण दिया है. साथ ही 10 हजार से ज्यादा 'संस्कृत गृह' भी स्थापित किए हैं. जबकि, कर्नाटक के मत्तूर और होसाहल्ली, मध्य प्रदेश के झीरी और मोहद समेत 6 गांव 'संस्कृत ग्राम' बन गए हैं. जहां सभी लोग केवल संस्कृत में ही संवाद करते हैं.

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Last Updated : Sep 15, 2024, 3:47 PM IST

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