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पॉक्सो का आरोपी डॉक्टर की लापरवाही के चलते बरी, विभागीय जांच के आदेश - CHITTORGARH SESSION COURT

एक्स-रे से पहले बना दिया मेडिकल. डॉक्टर के खिलाफ पॉक्सो कोर्ट ने विभागीय जांच के दिया आदेश. डॉक्टर की लापरवाही के चलते आरोपी बरी.

Chittorgarh Session Court
चित्तौड़गढ़ सेशन कोर्ट (ETV Bharat Chittorgarh)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 25, 2024, 9:54 PM IST

चित्तौड़गढ़:पॉक्सो कोर्ट क्रमांक 2 ने एक मामले में सोमवार को अपना फैसला सुनाते हुए पीड़िता का मेडिकल करने वाले डॉक्टर के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए विभागीय जांच के आदेश दिए. डॉक्टर ने एक्स-रे रिपोर्ट से पहले ही अपनी राय देते हुए रिपोर्ट दे दी. चिकित्सकीय खामियों के आधार पर पीठासीन अधिकारी अमित सहलोत ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का निर्णय सुनाया.

लोक अभियोजक अफजल मोहम्मद शेख ने बताया कि मामला बड़ी सादड़ी थाना क्षेत्र का है. 2 जुलाई 2020 को एक नाबालिग के साथ ज्यादती का मामला दर्ज हुआ था. पुलिस ने मामले में काफी भाग-दौड़ के बाद आरोपी सरी पिपली थाना धमोत्तर जिला प्रतापगढ़ निवासी मोहन उर्फ नानालाल मोगिया को गिरफ्तार किया और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के साथ पॉक्सो एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया गया. पुलिस ने अनुसंधान के बाद मोहनलाल के खिलाफ पॉक्सो कोर्ट संख्या दो में आरोप पत्र दाखिल किया.

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मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी पक्ष की ओर से पीड़िता का मेडिकल करने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बड़ी सादड़ी के चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव मंगल की जांच के प्रति गंभीर खामियों को उजागर किया. बचाव पक्ष की ओर से डॉक्यूमेंट पेश करते हुए बताया गया कि पीड़िता के मेडिकल परीक्षण के दौरान न तो उसकी मां, न किसी नर्स और न ही किसी महिला पुलिसकर्मी की उपस्थिति दर्ज है. इसके अलावा सबसे बड़ी खामी यह रही कि डॉ. राजीव मंगल ने 11 जुलाई 2020 को अपनी राय जाहिर करते हुए जांच रिपोर्ट पेश कर दी, जबकि इस जांच के लिए महत्वपूर्ण एक्स-रे जांच ही 2 दिन बाद 13 जुलाई 2020 को की गई. अर्थात जांच से पहले ही डॉक्टर ने अपनी राय जाहिर करते हुए रिपोर्ट बना दी, जो एक गंभीर खामी है.

लोक अभियोजक ने बताया कि चिकित्सकीय खामियों के कारण पीठासीन अधिकारी ने आरोपी मोहनलाल उर्फ नानालाल को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया, जबकि डॉ. राजीव मंगल की जांच पर सवाल उठाते हुए इसे कर्तव्य के प्रति गंभीर लापरवाही माना. पीठासीन अधिकारी ने डॉ. मंगल के खिलाफ अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा विभाग ग्रुप 2 को विभागीय जांच करते हुए कार्रवाई करने का आदेश दिया.

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